Ram Mandir 2023: इस शालिग्राम से बनेंगी श्री राम व माता सीता कि मूर्ति !!
कृष्ण गंडकी से अयोध्या तक, आस्था सागर का उद्वेलन करती चल रहीं देवशिलाएं दो देशों के मध्य कूटनीतिक या राजनीतिक संबंध की देन भर नहीं हैं
![Ram Mandir](https://bulandhindustan.com/wp-content/uploads/2023/01/006-2-scaled.jpg)
PUBLISHED BY – LISHA DHIGE
Table of Contents
Ram Mandir : कृष्ण गंडकी से अयोध्या तक, आस्था सागर का उद्वेलन करती चल रहीं देवशिलाएं दो देशों के मध्य कूटनीतिक या राजनीतिक संबंध की देन भर नहीं हैं। इन संबंधों से अतिरिक्त यह दो आध्यात्मिक राष्ट्रों के मध्य प्रगाढ़ आध्यात्मिक संबंधों का प्रमाण हैं। ये शिलाएं वस्तुत: जनक दुलारी सिया सुकुमारी के विवाह का उपहार हैं अपने पाहुन श्रीराम को। ये शिलाएं बीते वर्ष विवाह पंचमी के अवसर पर अयोध्या से आई राम बरात को विदाई की बेला में उपहार स्वरूप दे दी गई थीं। यात्रा के रूप में देवशिलाएं एक-दो फरवरी की रात्रि तक अयोध्या पहुंचेंगी, जहां मुख्य शिला से रामलला को स्वरूप देने का कार्य होगा।
![ram mandir](https://bulandhindustan.com/wp-content/uploads/2023/02/010.jpg)
विवाह पंचमी पर तीन लघु शिलाओं का हुआ था पूजन Ram Mandir
नेपाल के जनकपुरधाम स्थित जगतजननी माता जानकी मंदिर में प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष की शुक्ल पंचमी को श्रीराम जानकी विवाह का आयोजन होता है। अयोध्या से बरात आती है। विवाह के पश्चात विदाई की बेला में जनकपुरधाम के महंत बरातियों को भेंट-उपहार देते हैं। राम बरात के संयोजक और देवशिला यात्रा के समन्वयक विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र पंकज ने बताया कि 28 नवंबर, 2022 को विवाह पंचमी के अवसर पर जनकपुरधाम के महंत ने सिया सुकुमारी के विवाह के उपहार स्वरूप ये विशाल शालिग्राम शिलाएं दीं।Ram Mandir तब ये प्राप्त नहीं हुईं थी, इसलिए तीन लघु शालिग्राम शिलाओं का पूजनकर संकल्प लिया गया था कि रामलला का विग्रह स्वरूप तैयार करने के लिए ये देवशिलाएं दी जाएंगी।
![Ram Mandir](https://bulandhindustan.com/wp-content/uploads/2023/01/005-2-1024x683.jpg)
जनकपुरधाम
जनकपुरधाम स्थित जगतजननी माता जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वरदास वैष्णव ने बताया कि अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर में रामलला का स्वरूप कृष्ण गंडकी के शालिग्राम से निर्मित हो, ऐसा भाव आया। जनकपुरधाम ने नेपाल राष्ट्र सरकार और गंडकी प्रदेश सरकार से जानकी विवाह में उपहार देने के लिए देवशिलाएं मांगी थी। Ram Mandir विवाह के समय ये देवशिलाएं नहीं मिल पाई थीं। सरकार ने अब जनकपुरधाम को देवशिलाएं सौंपी हैं। राजेंद्र पंकज कहते हैं कि अब हम अपना उपहार ले जा रहे हैं। इन शिलाओं के साथ उपहारस्वरुप पियरी (पीली धोती) धोती, गमछा, फल, मिठाई, पाहुर आदि भी हैं।
इसे देखे : Pakistan Crisis 2023: पाकिस्तान पर मंडरा रहा कंगाली का खतरा…https://bulandmedia.com/5601/pakistan-crisis-2023/
शिला निकालने में रखा गया पर्यावरण का ध्यान
![ram mandir](http://bulandhindustan.com/wp-content/uploads/2023/02/009.jpg)
पंकज ने बताया कि शिलाओं को निकालने में पर्यावरण का पूरा ध्यान रखा गया है। भूगर्भ विज्ञानियों का कहना था कि नदी की धारा से बड़ी शिलाएं निकालने पर पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस सुझाव को ध्यान में रखते हुए तटवर्ती क्षेत्र से शिलाएं प्राप्त की गईं। देवशिला की खोज में भी समय लगा। मुक्तिनाथ से पोखरा तक तीन भ्रमण कार्यक्रम में 80 दिन तक शिलाओं की खोज हुई। यह खोज पुलह, पुलस्त्य और कपिल मुनि की तपोभूमि गलेश्वरनाथ धाम पर पूरी हुई। यहां कृष्ण गंडकी नदी के पास शालिग्राम पर स्वयंभू शिवलिंग स्थापित हैंRam Mandir और बाबा गलेश्वरनाथ का आश्रम भी है।
जानकीभूमि को स्पर्श कर उठीं देवशिलाएं
नेपाल की काली गंडकी से जनकपुरधाम मंदिर में लाई गईं शिलाओं को नेपाल के ट्रक से उतार भारतीय ट्रकों पर लादने की राह आसान नहीं थी। इस पूरी प्रक्रिया में 10 घंटे लग गए। बार-बार बाधाएं उत्पन्न होती रहीं। श्रद्धालु और संत बार-बार देवशिला के पास पहुंचकर प्रणाम कर उन्हें अयोध्या जाने के लिए तैयार होने की बात कह रहे थे। चर्चा होती रही कि शिलाएं जानकी मंदिर की भूमि का स्पर्श करना चाहती हैं। बगैर स्पर्श किए शिलाओं को दूसरे ट्रक पर लादना मुश्किल है। आखिरकार, यही हुआ भी। 10 मिनट तक देवशिला क्रेन से लटकी रही और आधे घंटे तक मंदिर की भूमि पर रही।
![ram mandir](https://bulandhindustan.com/wp-content/uploads/2023/02/008.jpg)
जरूर पढ़े : Nostradamus Bhavishyavani: नास्त्रेदमस की वो 10 खतरनाक भविष्यवानियां..
https://bulandhindustan.com/7180/nostradamus-bhavishyavani/
रविवार की शाम काली गंडकी से शिलाओं को लेकर आए ट्रकों से भारतीय ट्रक पर रखने की प्रक्रिया शुरू हुई। शिलाओं का आकार अधिक होने के कारण रात नौ बजे दूसरा ट्रक मंगवाया।Ram Mandir क्रेन के माध्यम से देवशिला को उतारा गया। देवशिला को क्रेन ने उठाया गया, पर बैक करने के दौरान ट्रक फंस गया। काफी मशक्कत के बाद देवशिला को ट्रक पर लादा जा सका।
![Ram Mandir](https://bulandhindustan.com/wp-content/uploads/2023/01/006-2-1024x683.jpg)
नौ माह में स्वरूप लेंगे रामलला
देवशिलाएं दो फरवरी को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास को सौंप दी जाएंगी। शिलाएं अत्यंत कठोर हैं, इसलिए रामलाल का स्वरूप देने के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाएगा।Ram Mandirफिर भी शिला को रामलला का स्वरूप देने में करीब नौ माह लग जाएंगे। इस समयकाल में निर्माण स्थल पर अनवरत रामनाम संकीर्तन होगा।
धर्मदूत
राजेंद्र पंकज ने कहा कि ये शिलाएं एक आध्यात्मिक राष्ट्र नेपाल के धर्मदूत के रूप में दूसरे आध्यात्मिक राष्ट्र भारत जा रही हैं। जनकपुर और मिथिलांचल के नाते नेपाल का अयोध्या से सीधा संबंध है,Ram Mandirलेकिन हिमालय क्षेत्र की कृष्ण गंडकी नदी से प्राप्त इन शिलाओं के माध्यम से पहाड़ी क्षेत्रों का भी अयोध्या से सीधा जुड़ाव हो गया। यह भारत और नेपाल के संबंध को और मजबूत करता है।