पितृ मोक्ष अमावस्या (जिसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है) 2 अक्टूबर 2024 को है। यह अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है, जब उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि ज्ञात नहीं होती या जिन्हें कोई श्राद्ध कर्म नहीं मिला हो।
पितृ मोक्ष अमावस्या (सर्व पितृ अमावस्या) के दिन विशेष रूप से पितरों की शांति और मोक्ष के लिए पूजा-अर्चना और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इस दिन उन पितरों के लिए तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती, या जो भूले हुए होते हैं। यह दिन पितरों को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन किए जाने वाले कार्य:
1. श्राद्ध कर्म
- श्राद्ध कर्म में पिंडदान और तर्पण शामिल होता है। इसमें जल और तिल से पितरों का आह्वान किया जाता है और उन्हें जल अर्पित किया जाता है।
- कुछ लोग इस दिन विशेष अनुष्ठान और हवन करते हैं, जिसमें ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
2. तर्पण
- तर्पण का अर्थ है जल का अर्पण। यह पितरों के लिए विशेष प्रकार से जल और तिल से किया जाता है, जिसमें पवित्र मंत्रों का उच्चारण होता है।
- जल से पितरों की आत्मा को शांति और तृप्ति प्रदान की जाती है।
3. दान-पुण्य
- इस दिन जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन, कपड़े, और अन्य वस्त्रों का दान करना शुभ माना जाता है। भोजन में खीर, चावल, दाल, सब्जी और फल शामिल होते हैं।
- कुछ लोग अन्न, जल, वस्त्र, तिल और अन्य आवश्यक चीज़ों का दान करते हैं।
4. व्रत और पूजा
- पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन लोग व्रत रखते हैं और घर में साफ-सफाई कर विशेष पूजा करते हैं। पवित्र ग्रंथों का पाठ भी किया जाता है, जैसे कि गरुड़ पुराण या रामायण।
5. गंगा स्नान
- कई लोग गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर पितरों के मोक्ष की कामना करते हैं। स्नान के बाद पवित्र जल घर लाकर पूजा के लिए उपयोग किया जाता है।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करना और उन्हें तृप्त करना है, जिससे परिवार में सुख-शांति बनी रहे।