बच्चों को शांत रखने के लिए मोबाईल देना पड़ सकता है,खतरा
बच्चों को शांत रखने के लिए मोबाईल देना पड़ सकता है,खतरा
PUBLISHED BY-PIYUSH NAYAK
कई बार बच्चे ज्यादा जिद करते हैं या रोते हैं तो उन्हें चुप कराने के लिए माता-पिता उन्हें मोबाइल थमा देते हैं। इससे तत्काल तो बच्चा शांत हो जाता है, लेकिन इसके कई गंभीर परिणाम सामने आए हैं। बच्चों की परवरिश से जुड़ी यह एक बड़ी गलती है।
मोबाइल से बच्चों के मानसिक रोगी बनने का डर
मिशिगन मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों को शांत करने के लिए मोबाइल देना उन्हें मानसिक रोगी बना सकता है। इससे वे चिड़चिड़े हो जाते हैं और कई बार चुनौतीपूर्ण माहौल में आक्रामक व्यवहार करते हैं। इससे बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी तो कम होती ही है, वहीं उनके व्यवहार में भी बढ़ती उम्र के साथ परिवर्तन आ जाता है। ऐसे बच्चे भावनात्मक रूप से काफी कमजोर होते हैं। इसका असर लड़कों में ज्यादा नजर आ रहा है।
3-5 साल के बच्चों का व्यवहार खराब हो रहा
जामा पीडियाट्रिक्स में मिशिगन मेडिसिन के अध्ययन के अनुसार, 3-5 साल की उम्र के बच्चों को शांत करने के लिए स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे डिवाइस का बार-बार इस्तेमाल लड़कों में भावनात्मक विकृति पैदा कर सकता है। स्क्रीन टाइम बढ़ने से उनका व्यवहार नकारात्मक हो रहा है। साथ ही चुनौतीपूर्ण व्यवहारों के प्रति उनका रिएक्शन खराब हो जाता है।
इतना ही नहीं, शरीर में एक प्रकार की शिथिलता आ जाती है। बच्चों के मूड स्विंग्स होना शुरू हो जाते हैं। कई बार वे बेहद उत्तेजित हो जाते हैं, तो कई बार चेहरे पर उदासी और मायूसी छा जाती है। इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो बच्चों को मोबाइल देना बंद कर देना चाहिए।
झूला झूलने जैसी गतिविधियों से ध्यान भटकाएं
प्रमुख शोधकर्ता रेडेस्की ने बताया कि बच्चों को शांत करने के लिए कई वैकल्पिक एक्टीविटीज का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो उनके विकास में मददगार साबित हों। झूला झूलने, ट्रैम्पोलिन पर कूदने, क्ले से खेलने, गाने सुनने जैसी गतिविधियों से उनका ध्यान भटका सकते हैं।