अरपा भैसाझार परियोजना में बगैर काम किए हुआ करोड़ों का भुगतान!!
ठेकेदार सुनील अग्रवाल द्वारा हाईकोर्ट के पीछे का एरिया चिरचिन्दा और बिल्हा जैसे जगहों के मेन कैनाल, डिस्ट्रीब्यूटरी एवं माइनर नहर का काम आज दिनांक तक अधूरा पड़ा है जिसकी वजह से किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है.
पूर्व प्रमुख अभियंता के द्वारा अक्सर सुनने में आता था कि –
बिकता है हर कोई खरीदने वाला चाहिए के तर्ज पर जल संसाधन विभाग को भ्रष्ट संसाधन विभाग बनाने में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले का रहने वाला भस्मासुर रूपी माफिया ठेकेदार सुनील अग्रवाल ने अरपा भैसाझार परियोजना में भ्रष्टाचार करने के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाला है, इस परियोजना के भ्रष्टाचार में मुख्य रूप से मुख्य अभियंता अजय सोमावार और कार्यपालन अभियंता तिवारी की भूमिका प्रमुख रूप से रही है |
भस्मासुर रुपी ठेकेदार ने मुख्य अभियंता अजय सोमावार को मोटी कमीशन (रकम) के बदौलत उनको अपने सामने नतमस्तक करने पर मजबूर कर रखा है और फील्ड में बिना काम किए ही करोड़ों रुपए का भुगतान करवा लिया है | यह परियोजना पिछले 10 वर्षो से अधिक समय बीत जाने के बावजूद आज तक काम पूरा नहीं हो पाया है.
ठेकेदार सुनील अग्रवाल द्वारा हाईकोर्ट के पीछे का एरिया चिरचिन्दा और बिल्हा जैसे जगहों के मेन कैनाल, डिस्ट्रीब्यूटरी एवं माइनर नहर का काम आज दिनांक तक अधूरा पड़ा है जिसकी वजह से किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है, इनमें करीब 5 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी का कार्य एवं 200 संरचनाएं (स्ट्रक्चर) का कार्य भी नहीं हुआ है, इन नहरों के ना ही लाइन क्लियर हुआ है और ना ही भू अर्जन हुआ है.
CE सोमावार और ठेकेदार सुनील अग्रवाल ने पहुंचाया शासन को करोड़ों का नुकसान
पुराने सर्वे के अनुसार अब इन जगहों में घर, आबादी और शहरी क्षेत्र के रूप में तब्दील हो गए हैं, फिर भी ठेकेदार ने मुख्य अभियंता अजय सोमावर और कार्यपालन अभियंता को कमीशन के तौर पर मोटी रकम देकर कागजो में ही नहर बनाकर लगभग 15 करोड़ रुपय के आसपास का भुगतान करवा लिया है जबकि फील्ड में आज तक नहर बनी ही नहीं है | यहां तक कि मुख्य नहर से निकलने वाली डिस्ट्रीब्यूटरी व माइनर के जितने भी स्लूजगेट और स्ट्रक्चर का निर्माण करना था वह आज तक पूरा नहीं हुआ है लेकिन इन सबका भुगतान हो गया है |
ठीक इसी प्रकार मुख्य अभियंता अजय सोमावार और भस्मासुर रुपी ठेकेदार सुनील अग्रवाल की सामूहिक एवं प्रायोजित मिलीभगत की बदौलत बिलासपुर शहर से लगा हुआ शिव घाट और पचरी घाट में भी डायफ्राम वाल डालने के आड़ में जहां पर डायफ्राम वाल को 12 मीटर जमीन के अंदर डाला जाना चाहिए था वहां पर मात्र 5 मीटर के ही आसपास डाला गया है, इस प्रकार यहां भी करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है |
अब देखना यह है कि ED की तिरछी नजर कब तक भस्मासुर रूपी माफिया ठेकेदार और मोटे कमीशन (रकम) के आड़ में भ्रष्टाचारियों को पनाह देने वाले मुख्य अभियंता अजय सोमावार के ऊपर पड़ती है |