Khutaghat Dam
जिसे छत्तीसगढ़ की स्थानीय भाषा में "खुंटा" कहा जाता है, इसलिए संजय गांधी जलाशय का नाम खूंटाघाट बांध पड़ा। आज

PUBLISHED BY -LISHA DHIGE
अगर आप बारिश के मौसम में पिकनिक, पर्यटन स्थल की तलाश में हैं, ताकि आप ताजगी और शांति का अनुभव कर सकें, तो आपको एक बार खुटाघाट जलाशय जरूर जाना चाहिए। खूटाघाट डैम में आपको काफी ट्रेकिंग, साइट सीवन देखने को मिलेगा। हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक यहां घूमने पहुंचते हैं।
खुटाघाट जलाशय का इतिहास और लोकवानी
खुटाघाट बांध का नाम संजय गांधी जलाशय के नाम पर रखा गया है। जो साल 1930 में बनकर तैयार हुआ था। इनकी लागत करीब 6563097 रुपये बताई जाती है।
संजय गांधी जलाशय को खुटाघाट बांध कहा जाता है। बताया जाता है कि इस बांध को बनाने के लिए करीब गांवों का निर्माण किया गया है, दोस्तों आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि यह बांध कितना बड़ा होगा।
इस बाँध के निर्माण के समय यहाँ एक जंगल हुआ करता था जिसमें बहुत से पेड़-पौधे थे। बांध के निर्माण के दौरान पेड़ों को नहीं काटा गया था, जिससे पेड़ पानी में डूबा रहा। पानी के नीचे होने के कारण वह पेड़ ठूंठ में बदल गया, जो इतना मजबूत हो गया कि कुल्हाड़ी से काटने पर उल्टा चोट लगता था।

जिसे छत्तीसगढ़ की स्थानीय भाषा में “खुंटा” कहा जाता है, इसलिए संजय गांधी जलाशय का नाम खूंटाघाट बांध पड़ा।
आज भी आसपास के लोगों ने इस बांध के अंदर पाई जाने वाली लकड़ी को काटकर लाठियां बनाकर स्मारक के रूप में रख दी हैं।
बांध की सीढ़ियां चढ़ते समय जब आप पहली बार खूटघाट बांध देखेंगे, तो मैं गारंटी देता हूं कि आपको अपने मन और हृदय में शांति और आनंद के अलावा कुछ नहीं दिखाई देगा।
वहां का नजारा देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। बारिश के मौसम में ओवरफ्लो का पानी बांध के ऊपर से जाते हुए आपको झरने जैसा लगेगा. जिसमें आपका मन तैरने को बेताब रहेगा।
अगर आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं तो आप वहां एक छोटे से पहाड़ पर चढ़कर ऊपर जा सकते हैं। जहां से आपको बिल्कुल नया अनुभव होगा।