Jannah Theme License is not validated, Go to the theme options page to validate the license, You need a single license for each domain name.
खबर हटके

जाने ऐसे किले की कहानी जिसकी सुरक्षा करता है जिन्न

जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां शासन कर रहे राजा ने खुद अपनी रानी का सिर काट दिया था। इसके पीछे एक बेहद ही हैरान करने वाली एतिहासिक कहानी है। रायसेन का किला, भोपाल

( PUBLISHED BY – SEEMA UPADHYAY )

भारत में राजाओं के कई ऐसे किले हैं, जो अपने आप में एक अनोखी कहानी समेटे हुए हैं। इन किलों को भारत की शान कहा जाता है, साथ ही यहां कुछ ऐसी रहस्यमयी चीजें भी हैं, जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं। ऐसा ही एक किला मध्य प्रदेश के भोपाल में है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां के राजा ने खुद अपनी रानी का सिर कलम कर दिया था। इसके पीछे एक बहुत ही आश्चर्यजनक ऐतिहासिक कहानी है।

इस किले का नाम रायसेन किला (रायसेन का किला) है। 1200 ईस्वी में बना यह किला पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह प्राचीन वास्तुकला और गुणवत्ता का एक अद्भुत प्रमाण है, जो कई सदियों बीत जाने के बाद भी उतना ही सुंदर है जितना पहले था।

बलुआ पत्थर से बने इस किले के चारों ओर विशाल चट्टानी दीवारें हैं। इन दीवारों में नौ द्वार और 13 बुर्ज हैं। इस किले का एक शानदार इतिहास है। यहां कई राजाओं ने शासन किया है जिनमें से एक शेर शाह सूरी भी थे। हालांकि इस किले को जीतने में उनके पसीने छूट गए थे। शेरशाही इतिहास के अनुसार चार महीने की घेराबंदी के बाद भी वह इस किले को जीत नहीं सका।

कहा जाता है कि शेरशाह सूरी ने इस किले को जीतने के लिए तांबे के सिक्कों को गलाकर तोपें बनवाई थीं, जिससे उसकी जीत तय थी। हालांकि कहा जाता है कि 1543 ई. में शेरशाह ने इसे जीतने के लिए छल का सहारा लिया था। उस समय इस किले पर राजा पूरणमल का शासन था। जैसे ही उसे पता चला कि उसके साथ धोखा हुआ है, उसने शत्रुओं से बचाने के लिए स्वयं अपनी पत्नी रानी रत्नावली का सिर धड़ से अलग कर दिया।

इस किले से जुड़ी एक बहुत ही रहस्यमयी कहानी है। कहा जाता है कि यहां के राजा राजसेन के पास एक पारस पत्थर था, जो लोहे को सोना बना सकता था। इस रहस्यमयी पत्थर के लिए कई लड़ाईयां हुईं, लेकिन जब राजा राजसेन हार गए तो उन्होंने पारस पत्थर को किले में ही स्थित एक तालाब में फेंक दिया।

कहा जाता है कि कई राजाओं ने इस किले को खोदकर पारस पत्थर को खोजने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। आज भी लोग रात के समय यहां पारस पत्थर की तलाश में तांत्रिकों को अपने साथ ले जाते हैं, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। इसके बारे में एक प्रचलित कहानी यह भी है कि यहां पत्थर खोजने आने वाले कई लोग अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं, क्योंकि एक जिन्न पारस पत्थर की रक्षा करता है।

हालांकि, पुरातत्व विभाग को अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे पता चलता हो कि इस किले में पारस पत्थर मौजूद है, लेकिन सुनी-सुनाई कहानियों के कारण लोग पारस पत्थर की तलाश में चुपके से इस किले में पहुंच जाते हैं।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button