जाने कैसे विदेशो में सोशल मीडिया तोड रही दोस्ती….
सोशल मीडिया का दोस्ती पर असर:लाइक-कमेंट के आधार पर बनाए जा रहे दोस्त, इससे अमेरिका के 50% किशोर तनाव में
( PUBLISHED BY – SEEMA UPADHYAY )
सोशल मीडिया इन दिनों अमेरिका समेत पूरी दुनिया में दोस्ती का आसान प्लेटफॉर्म बन गया है। यहां लोग न सिर्फ आसानी से दोस्त बना रहे हैं, बल्कि पोस्ट पर लाइक और कमेंट के आधार पर उनका वजन भी कर रहे हैं। वे तय कर रहे हैं कि किसके साथ दोस्ती करनी है और ऑनलाइन दुनिया के इन मापदंडों से दूरी बनाना है।
These days social media has become an easy platform for friendship all over the world including America. Here people are not only making friends easily, but are also weighing them on the basis of likes and comments on the post. They are deciding who to be friends with and distance themselves from these parameters of the online world.
लड़कियों के मुकाबले लड़कों में ज्यादा तनाव ( more stress in boys than girls )
इससे देश के 50 प्रतिशत किशोरों में तनाव बढ़ रहा है। इनमें से 30% लड़के हैं। दरअसल, हार्वर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन ने इस संबंध में प्रोजेक्ट जीरो नाम से एक शोध किया है। इस शोध के अनुसार किशोरों में दोस्त बनाने की इच्छा भी बढ़ गई है। नतीजतन, जब उसके स्कूल में एक साथ पढ़ने वाले छात्र को उसके पोस्ट पर अधिक लाइक और कमेंट मिलते हैं, तो वह तुरंत तनाव में आ जाता है।
Due to this, stress is increasing in 50 percent of the country’s adolescents. Of these 30% are boys. Actually, Harvard Graduate School of Education has done a research in this regard called Project Zero. According to this research, the desire to make friends has also increased in adolescents. As a result, when a student studying together in his school gets more likes and comments on his post, he immediately gets tensed.
इतना ही नहीं कई बार संवेदनशील पोस्ट से किशोरों की भावनाएं भी आहत होती हैं। सोशल मीडिया पर तकनीक के चलते बच्चे कई अनजान दोस्त भी बना रहे हैं और असली दोस्ती का मतलब और मतलब भूल रहे हैं।
Not only this, sometimes the sentiments of teenagers are also hurt by sensitive posts. Due to technology on social media, children are also making many unknown friends and are forgetting the meaning and meaning of real friendship.
नहीं बदला दोस्ती का ट्रेंड, पेरेंट्स बच्चों से बात करें ( Friendship trend has not changed, parents talk to children )
अगर सोशल मीडिया फ्रेंड्स की वजह से बच्चा स्ट्रेस में नजर आता है तो पैरेंट्स को उनसे बात करनी चाहिए और काउंसलिंग करनी चाहिए। उन्हें ऑनलाइन दुनिया से बाहर निकलने के लिए वास्तविक दोस्ती के अर्थ और तरीके समझाने होंगे। तभी बच्चे इस बात को समझ पाएंगे और अच्छे दोस्त बना पाएंगे।
If the child appears to be under stress due to social media friends, then parents should talk to them and do counseling. They have to explain the meaning and ways of real friendship to get out of the online world. Only then children will be able to understand this and make good friends.