धर्म

Parshuram Jayanti 2023 : जानिए परशुराम से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य !

PUBLISHED BY – LISHA DHIGE

Parshuram Jayanti 2023 : हमारे देश में हर साल त्यौहार और जयंती मनाई जाती है इसी के साथ ही हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में परशुराम जयंती मनाई जाती है। इस तिथि को भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में छठवां अवतार लिया था, इसलिए अक्षय तृतीया के साथ- साथ परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। परशुराम जयंती के अलावा हिंदू धर्म में इस तिथि के कई और महत्व हैं।

इस साल परशुराम जयंती 22 अप्रैल शनिवार को मनायी जाएगी रही है। भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था। एक ब्राह्मण होते हुए भी उनमें क्षत्रियों वाले गुण थे।

Parshuram Jayanti 2023
Parshuram Jayanti 2023

1. चिरंजीवी हैं परशुराम

ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पांच संतानों में चौथे पुत्र भगवान परशुराम थे। परशुराम को भगवान शिव के परम भक्त के रूप में जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने राजाओं द्वारा किए जा रहे अन्याय, अधर्म और पापों के विनाश के लिए जन्म लिया था। ये सात चिरंजीवी पुरुषों में से एक हैं जो धरती में आज भी मौजूद हैं।

2. गणेश जी से भी हुए थे क्रोधित

ऐसा कहा जाता है की गणेश पुराण के अनुसार एक बार परशुराम जी भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत गए थे, लेकिन भगवान गणेश जी ने उन्हें मिलने से रोक दिया था।Parshuram Jayanti 2023 इस बात से क्रोधित होकर भगवान परशुराम ने गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया था। दांत टूटने के बाद से गणेश जी का एकदंत नाम प्रचलित हुआ।  

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3 . भगवान कृष्ण को सौंपा सुदर्शन चक्र

धार्मिक कथाओ के अनुसार रामायण काल में सीता स्वयंवर में भगवान राम  द्वारा धनुष तोड़ने के पश्चात जब परशुराम क्रोधित होकर सभा में आए थे, तब भगवान राम और लक्ष्मण का परशुराम के साथ संवाद हुआ था। इसके बाद भगवान राम ने उनका सम्मान करते हुए अपना चक्र उन्हें सौंपा था। वही सुदर्शन चक्र को भगवान परशुराम ने द्वापर युग में श्री कृष्ण को वापस दिया था।

Parshuram Jayanti 2023
Parshuram Jayanti 2023

4. मां का किया वध

पौराणिक कथा और ग्रंथों के अनुसार कहा जाता है एक बार परशुराम की माता से एक अपराध हो गया था, जिससे क्रोधित होकर परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि ने अपने पुत्रों से माता रेणुका का वध करने का आदेश दिया। आदेश सुनकर परशुराम के सभी भाइयों ने माता का वध करने से मना कर दिया लेकिन भगवान परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा मानते हुए अपनी मां की वध की थी।

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