भगवान शिव का त्रिपुंड तिलक उनके मस्तक पर धारित 27 देवताओं और ध्यान का प्रतीक माना जाता है। त्रिपुंड का हमारे जीवन से यह संबंध है कि जिसने भी अपने भीतर 36 में से 27 गुणों को ध्यान शक्ति को जागृत किया है उसमें भगवान शिव की ऊर्जा का स्रोत उत्पन्न हो चुका है।
Tripund Tilak : 27 देवताओं का आशीर्वाद एक साथ प्राप्त होता है
हिंदू धर्म ग्रंथों में उल्लेख है कि त्रिपुंड में तीन रेखाएं होती हैं. इन तीन रेखाओं का विशेष महत्व होता है क्योंकि इनमें 27 देवताओं का वास होता है. एक रेखा में 9 देवता वास करते हैं, इसलिए त्रिपुंड लगाने से 27 देवताओं का आशीर्वाद एक साथ प्राप्त होता है और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है.
Tripund Tilak : तृतीय हवन वास करते हैं
त्रिपुंड की तीन रेखाओं में से पहली रेखा में महादेव, अकार, रजोगुण, धर्म, गाहृपतय, पृथ्वी, हवन, क्रियाशक्ति, ऋग्वेद, प्रात: कालीन, दूसरी रेखा में महेश्वर, आकाश, अंतरात्मा, इच्छाशक्ति, दक्षिणाग्नि, ऊंकार, सत्वगुण, मध्याह्र हवन और तीसरी रेखा में शिव, आहवनीय अग्नि, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तमोगुण, स्वर्गलोक, परमात्मा, तृतीय हवन वास करते हैं
Tripund Tilak : सकारात्मक ऊर्जा का संचार
ललाट पर त्रिपुंड लगाना बेहद शुभ होता है, इससे 27 देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. त्रिपुंड लगाने से व्यक्ति के मन के बुरे विचार नहीं आते और मानसिक शांति प्राप्त होती है. शिव पुराण में उल्लेख मिलता है कि जो भी भक्त ललाट पर त्रिपुंड धारण करता है, उसे बुरी शक्ति प्रभावित नहीं कर पाती है. त्रिपुंड से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख शांति बनी रहती है.