गडकरी को हटाने के पीछे क्या है BJP की रणनीति?
नितिन गडकरी को हटाने के पीछे क्या है BJP की रणनीति? महाराष्ट्र तक होगा असर
( PUBLISHED BY – SEEMA UPADHYAY )
नितिन गडकरी का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सर्वोच्च नीति निर्धारक निकाय केंद्रीय संसदीय बोर्ड से बाहर होना भाजपा की भविष्य की रणनीति से जुड़ा है। इस फैसले का असर पार्टी के आंतरिक घटनाक्रम पर भी पड़ने वाला है. नया विकास न केवल पार्टी के भीतर उनकी राजनीतिक उपस्थिति को प्रभावित करेगा, बल्कि उनकी चुनावी राजनीति को भी प्रभावित करेगा।
2009 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में महाराष्ट्र की राजनीति से राष्ट्रीय परिदृश्य तक पहुंचे नितिन गडकरी अब भाजपा के केंद्रीय संगठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका से बाहर हैं। वह केंद्र सरकार में मंत्री और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं, लेकिन केंद्रीय संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति से बाहर रहेंगे। इसका असर पार्टी में उनके पद पर भी पड़ा है.
अलग सोच जाहिर करते रहे हैं गडकरी
गडकरी अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं और राजनीति को लेकर उनकी अपनी अलग सोच भी जाहिर हुई है. हाल ही में एक कार्यक्रम में उन्होंने मौजूदा राजनीति पर सवाल उठाए थे और संकेत दिया था कि राजनीति अब उनके लिए ज्यादा दिलचस्पी की नहीं है। हालांकि गडकरी को बीजेपी संगठन में कई बदलाव के लिए भी जाना जाता है. अपने अलग अंदाज की वजह से कई बार वह सबके साथ तालमेल बिठाने में भी कामयाब नहीं हो पाते थे.
मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में उनकी भूमिका को सबसे ज्यादा सराहा गया। उनके विरोधी भी देश भर में फैले राष्ट्रीय राजमार्गों के नेटवर्क के लिए गडकरी की प्रशंसा करते हैं। लेकिन उनकी मुश्किलें पार्टी के अंदरूनी समीकरणों में ही रहीं. वह अपने अनियंत्रित अंदाज के कारण भी विवादों में बने रहे।
पार्टी ने दिया बड़ा संदेश
केंद्रीय नेतृत्व ने नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल न करके एक बड़ा संदेश दिया है कि पार्टी व्यक्ति के बजाय विचारधारा पर केंद्रित है। इसके विस्तार में जो भी आवश्यक होगा वह किया जाएगा। इससे पहले पार्टी ने गाइड बोर्ड का गठन किया था और वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को पार्टी की सक्रिय राजनीति से अलग कर इसमें शामिल किया था.