
रायपुर। छत्तीसगढ़ नान घोटाला केस में रिटायर्ड IAS आलोक शुक्ला शुक्रवार को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचे थे। हालांकि, कोर्ट ने उनका सरेंडर कराने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभी तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश अपलोड नहीं हुआ है, ऐसे में सरेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती। इसके बाद आलोक शुक्ला कोर्ट से लौट गए।
बचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आलोक शुक्ला सरेंडर करने पहुंचे थे, लेकिन कोर्ट ने आदेश की कॉपी आने का इंतजार करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को पहले दो हफ्ते ED की कस्टडी और फिर दो हफ्ते न्यायिक हिरासत में रहना होगा। इसके बाद ही उन्हें जमानत मिल सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
ED ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि नान घोटाले के आरोपी जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने हाईकोर्ट से मिली अग्रिम जमानत को रद्द कर दिया। साथ ही, बेंच ने ईडी को 3 महीने और EOW को 2 महीने में जांच पूरी करने के निर्देश दिए।
क्या है नान घोटाला ?
नान घोटाला फरवरी 2015 में उजागर हुआ था, जब ACB/EOW ने नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) के 25 परिसरों पर छापे मारे। छापों में 3.64 करोड़ रुपए कैश बरामद किया गया। साथ ही, घटिया गुणवत्ता का चावल और नमक भी जब्त हुआ, जो मानव उपभोग के योग्य नहीं था।
जांच में सामने आया कि तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के साथ मिलकर सरकारी दस्तावेजों और प्रक्रियाओं में हेरफेर किया। इन बदलावों का उद्देश्य अदालत में अपनी स्थिति मजबूत करना और अग्रिम जमानत हासिल करना था।
इन धाराओं के तहत केस दर्ज
EOW ने आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धाराएं 7, 7क, 8, और 13(2) सहित IPC की धाराएं 182, 211, 193, 195-A, 166-A और 120-B के तहत अपराध दर्ज किए।