छत्तीसगढ़
Trending

मोर गांव मोर पानी’ अभियान बना जल संरक्षण का ऐतिहासिक जनांदोलन

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की महत्वाकांक्षी पहल “मोर गांव मोर पानी” अभियान ने जल संरक्षण को लेकर राज्य ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। बलरामपुर जिले में इस अभियान के अंतर्गत जनसहयोग और प्रशासनिक समर्थन के बल पर 1 लाख 22 हजार 455 सोख्ता गड्ढों का निर्माण कर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाया गया है। यह उपलब्धि जल संरक्षण के क्षेत्र की दिशा में जिले की ऐतिहासिक सहभागिता और जनप्रतिनिधियों की सक्रियता को दर्शाती है।

रिकॉर्ड से आगे निकला बलरामपुर

जिला प्रशासन ने प्रत्येक विकासखंड में 20 हजार गड्ढों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया था, जो छह विकासखंडों में मिलाकर कुल 1 लाख 20 हजार था। लेकिन आम नागरिकों, स्व-सहायता समूहों, हितग्राहियों और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी से लक्ष्य से अधिक निर्माण कर बलरामपुर ने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान हासिल किया।

जल संरक्षण सप्ताह में जनजागरूकता की मिसाल

30 जून से 7 जुलाई तक आयोजित जल संरक्षण सप्ताह के दौरान ग्राम पंचायत जतरो में सरगुजा सांसद श्री चिंतामणि महाराज ने श्रमदान कर जल संरक्षण का संदेश दिया। इसी श्रृंखला में ग्राम पुटसुरा में समापन कार्यक्रम हुआ, जहां जिला पंचायत सीईओ श्रीमती नयनतारा सिंह तोमर और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की स्टेट हेड श्रीमती सोनल शर्मा ने आंगनबाड़ी भवन और प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी श्री सुरेन्द्र नाग के घर में सोख्ता गड्ढा निर्माण कर प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया।

जिला प्रशासन का नेतृत्व और जनसहयोग बना सफलता की कुंजी

जिला कलेक्टर श्री राजेन्द्र कटारा के मार्गदर्शन और जिला पंचायत सीईओ श्रीमती नयनतारा सिंह तोमर के नेतृत्व में अभियान को गाँव-गाँव तक पहुँचाया गया। उन्होंने मैदानी स्तर पर जाकर निगरानी की लोगों को इस अभियान से जुड़ने का आग्रह किया। 

पिछड़े क्षेत्रों से लेकर जनजातीय अंचलों तक व्यापक असर

कुसमी, शंकरगढ़ जैसे वनांचल व विशेष पिछड़ी जनजातियों के क्षेत्रों में भी जागरूकता की लहर देखने को मिली। दीवार लेखन, रैली, जल शपथ, जन चौपाल, पौधरोपण, ग्रामसभा जैसी गतिविधियों से गांव-गांव में सहभागिता सुनिश्चित की गई। मनरेगा के तहत डबरी, चेक डेम, वाटरशेड जैसे संरचनात्मक कार्य भी किए गए।

केवल जल ही नहीं, पर्यावरण और आजीविका भी सुरक्षित

अभियान के अंतर्गत 16 हजार से अधिक पौधों का रोपण, बीज वितरण, किचन गार्डन, बहुफसली खेती, मत्स्य पालन और कृषि गतिविधियों को जोड़ा गया, जिससे ग्रामीणों की आजीविका को मजबूती मिल रही है। यह अभियान जल संरक्षण के साथ-साथ रोजगार के भी नये अवसर बन रहे हैं।

Buland Hindustan

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Chaitra Navratri 2025 : 30 march से शुरू होगा नवरात्रि के पावन पर्व Raipur Ganpati Darshan गुप्त नवरात्रि पूजा विधि Avatars of lord shiva Stationery essential that every student must have MAANG TIKKA Benefits of curd गणेश जी को अर्पित करे ये चीज़ Most Mysterious Places In India 10 Greatest Lamborghini cars ever made