खबर हटके

New Year 2023: इस नए साल में उठाइए अमरकंटक की वादियों का लुत्फ़

Bilaspur News: 'अमरकंटक' आस्था का बड़ा केंद्र, प्राकृतिक खूबसूरती के लिए मशहूर, देखें तस्वीर

( PUBLISHED BY – SEEMA UPADHYAY )

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग में स्थित अमरकंटक अपनी सुंदरता के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। अमरकंटक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां दूर-दूर तक ऊंचे-ऊंचे पेड़, घने जंगल और सिर्फ पहाड़ ही नजर आते हैं। यहां सूर्य की किरणें जमीन तक नहीं पहुंच पाती हैं। इसलिए अमरकंटक में साल भर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। अमरकंटक को नदियों का शहर कहा जाता है, क्योंकि यहाँ से लगभग पाँच नदियों का उद्गम होता है। यह मां नर्मदा का उद्गम स्थल है।

अमरकंटक मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में समुद्र तल से 3600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। अमरकंटक मैकाल पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊँची श्रेणी है। यहां से विध्यांचल, सतपुड़ा और मैकाल पर्वत श्रृंखलाएं शुरू होती हैं। अमरकंटक अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहां के पहाड़ों में इतने घने हरे पेड़ हैं, ऐसा लगता है मानो पहाड़ हरियाली की चादर ओढ़े हुए हों। अमरकंटक ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण कर रहा है। माना जाता है कि जगतगुरु शंकराचार्य ने यहीं नर्मदा के सम्मान में नर्मदाष्टक की रचना की थी।

अमरकंटक प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ अपने धार्मिक महत्व के लिए भी खास है। यहां सूर्य, लक्ष्मी, शिव, गणेश, विष्णु आदि देवी-देवताओं के मंदिर हैं। ये सभी मंदिर अत्यंत शांत स्थान पर हैं। जहां जाने के बाद ऐसा लगता है मानो तापमान नीचे आ गया हो। यहां एक ओर ऐतिहासिक मंदिर, नदियों का उद्गम स्थल और दूसरी ओर घना जंगल है। सोनमुंग नाम की एक जगह है जिसे सोनमुडा के नाम से भी जाना जाता है। सोन नदी सोनमुंग से ही निकलती है, जो उत्तर की ओर बहती हुई गंगा नदी में मिल जाती है। सोन नदी को सुनहरी नदी भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें सोने के कण पाए जाते हैं।

“माई की बगिया” सोनमंग से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोगों का मानना ​​है कि बचपन में यहां नर्मदा नदी खेल खेला करती थी। “माई की बगिया” से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर नर्मदा द्वारा बनाया गया पहला जलप्रपात है। जिसे कपिलधारा के नाम से जाना जाता है। यह जलप्रपात 100 फीट की ऊंचाई से गिरता है। कपिलधारा से कुछ दूरी पर दुग्धधारा जलप्रपात है। नर्मदा नदी का पानी दूध के समान सफेद हो जाता है, इसलिए इसे दुग्धधारा के नाम से जाना जाता है। अमरकंटक को साधु-संतों की शरणस्थली भी कहा जाता है। यह स्थान अनेक ऋषि मुनियों का निवास स्थान रहा है। जिसमें भृगु, जमदग्नि शामिल हैं।

इसके अलावा कबीर ने यहां कुछ समय भी बिताया है। जिसे आज कबीर चौरा के नाम से जाना जाता है। कबीर चौरा को कबीर चबूतरा के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ ही शांति और अहिंसा के प्रतीक जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की स्मृति में अमरकंटक में सर्वोदय जैन मंदिर बनाया गया है। यहां 24 हजार किलो वजनी भगवान आदिनाथ की 24 फीट की मूर्ति 17 हजार किलो अष्टधातु से बने कमल के आसन पर विराजमान है। यहां 41 हजार किलो अष्टधातु से बनी भगवान महावीर की कुल मूर्ति स्थापित की गई है। निर्माण योजना के अनुसार मंदिर की ऊंचाई 151 फीट, चौड़ाई 125 फीट और लंबाई 490 फीट है। जब मंदिर निर्माण की योजना बनी। तब इसकी अनुमानित लागत करीब 60 करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण यह कई गुना बढ़ गया।

Buland Hindustan

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Raipur Ganpati Darshan गुप्त नवरात्रि पूजा विधि Avatars of lord shiva Stationery essential that every student must have MAANG TIKKA Benefits of curd गणेश जी को अर्पित करे ये चीज़ Most Mysterious Places In India 10 Greatest Lamborghini cars ever made शुक्रवार के दिन करे यह 10 उपाय