छत्तीसगढ़िया ओलंपिक: पारम्परिक खेलों से जुड़ रहे लोग
छः चरणों में होने जा रहा छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के हर चरण में उम्मीद है कि लोगों का जुनून देखने को मिलेगा। इस प्रतियोगिता का अंतिम चरण राज्य स्तरीय होगा। राजीव गांधी युवा मितान क्लब स्तर पर चल रही इस खेल प्रतियोगिता में हार-जीत से बढ़कर खेल भावना भी दिख रही है
( PUBLISHED BY – SEEMA UPADHYAY )
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक पूरे राज्य में शुरू हो गया है। त्यौहारों के इस खुशनुमा माहौल में युवा से लेकर बुजुर्ग इन खेलों में उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं। एक तरफ प्रकृति की हरियाली वहीं दूसरी ओर फसल के रूप में प्रकृति का उपहार इस उत्साह को कई गुना बढ़ा रहा है। पहली बार छत्तीसगढ़ में आयोजित हो रहे इन खेलों में लोगों का जुड़ाव स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। छत्तीसगढ़ में इन खेलों के प्रति रूचि इस बात से पता चल रही है कि इन खेलों में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को अपना बचपन और युवावस्था फिर से याद आने लगा है।
हमारी संस्कृति में परम्परागत खेल रचे बसे हैं। यहां के लोक जीवन में ये खेल न केवल मनोरंजन का जरिया हैं बल्कि ये शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही हमें ताजगी और स्फूर्ति भी देते हैं। पिट्टुल, गिल्ली -डंडा, खो-खो, कबडडी जैसे खेल यहां गांव-गांव खेले जाते हैं। इनमें खो-खो और कबड्डी के खेल में खिलाड़ियों की चुश्ती और फुर्ती देखते ही बनती है। वहीं बालिकाओं और महिलाओं में फुगड़ी का खेल अत्यंत लोकप्रिय है।
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में उन खेलों को शामिल किया गया है जो यहां परम्परागत रूप से गांवों-और शहरों में खेले जाते हैं। लोक रूचि के इन खेलों को नई पहचान दिलाने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर इस खेल प्रतियोगिता की रूप रेखा तैयार की गई। कैबिनेट की मंजूरी के साथ ही इन खेलों के आयोजन का किया जा रहा है। इस आयोजन में लोक रूचि के 14 परंपरागत खेलों को शामिल किया गया है।