छत्तीसगढ़

सरेंडर या सफाया: सुरक्षाबलों की कार्रवाई से हिल गई माओवादी विचारधारा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों की सख्त कार्रवाई से नक्सली संगठन लगातार बैकफुट पर आते जा रहे हैं। कभी माओवादी संगठनों की शांति अपील के पत्र सामने आ रहे हैं तो कभी सरकार से युद्धविराम की मांग। इसी बीच अब माओवादी संगठन की ओर से एक और लेटर सामने आया है। इस बार यह पत्र संगठन के अंदर काम करने वालों के नाम जारी किया गया है, जिसमें लिखा गया है “अगर आपको डर लग रहा है, तो हथियार छोड़ सकते हैं, लेकिन विचारधारा नहीं।”

किसके नाम से जारी हुआ लेटर
नक्सली संगठन द्वारा जारी किए गए इस लेटर में संगठन के प्रवक्ता अभय और विकल्प के नाम दिए गए हैं। पत्र उन नक्सलियों के नाम लिखा गया है जो हाल के दिनों में आत्मसमर्पण करने की सोच रहे हैं। इसमें साफ कहा गया है कि जो लोग भयभीत हैं, वे अपने हथियार रख सकते हैं, लेकिन संगठन अपनी विचारधारा से पीछे नहीं हटेगा।

सोनू के लेटर से शुरू हुई अंदरूनी फूट
दरअसल, कुख्यात नक्सली कमांडर वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू ने कुछ दिन पहले संगठन को एक पत्र लिखकर आत्मसमर्पण की बात कही थी। उसने लिखा था कि अब केवल सरेंडर ही बेहतर विकल्प है और जनता के असली मुद्दों के लिए काम करने का समय आ गया है।
सोनू के इस लेटर के बाद संगठन में गंभीर मतभेद उभर आए। कुछ नक्सलियों ने इसका समर्थन किया, जबकि कुछ ने विचारधारा से समझौता न करने की बात कही। सोनू कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सदस्य है।

माओवादी प्रवक्ताओं का बयान
सोनू के लेटर से उपजे विवाद के बाद अब संगठन की ओर से प्रवक्ता अभय और विकल्प ने एक और लेटर जारी कर स्पष्ट किया है कि संगठन अपनी विचारधारा से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि जिन नक्सलियों को डर है, वे हथियार छोड़ सकते हैं, लेकिन बाकी सदस्य अपने मिशन पर कायम रहेंगे।
हाल ही में नक्सली संगठन ने यह भी स्वीकार किया था कि उनके कई बड़े नेताओं के एनकाउंटर में सरेंडर कर चुके नक्सलियों की भूमिका रही है। उन्होंने माना कि आत्मसमर्पण करने वाले कई सदस्य पुलिस को नेताओं के मूवमेंट की जानकारी देते हैं।

सुरक्षाबलों की सख्त कार्रवाई जारी
छत्तीसगढ़ में मिशन 2026 के तहत सुरक्षाबलों ने नक्सल विरोधी अभियान तेज कर दिया है। अब तक कई टॉप नक्सली नेताओं को मार गिराया गया है।
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि नक्सलियों के पास अब केवल एक ही रास्ता बचा है — “उन्हें आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटना चाहिए।”

Buland Hindustan

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