
वर्षभर में 24 एकादशियाँ होती हैं, जिनमें से प्रत्येक व्रत व उपवास का अपना आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व होता है। मोहिनी एकादशी, वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत विशेष रूप से पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
प्राचीन काल में महर्षि वशिष्ठ ने भगवान श्रीराम को इस व्रत के बारे में बताया था।
बहुत समय पहले एक बार युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा—
“हे माधव! कृपया वैशाख शुक्ल एकादशी का नाम, महत्व और व्रत की विधि बताइए।”
भगवान श्रीकृष्ण बोले:
“हे धर्मराज! यह एकादशी ‘मोहिनी एकादशी’ के नाम से प्रसिद्ध है। इसका व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना, उपवास और रात्रि जागरण करना अत्यंत पुण्यदायक होता है।”
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक राजा धृतिमान अपनी प्रजा के कल्याण के लिए चिंतित रहते थे। उन्होंने अपने पुरोहित से उपाय पूछा, तब ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें मोहिनी एकादशी का व्रत रखने का परामर्श दिया।
राजा ने विधिपूर्वक यह व्रत किया, जिससे उनकी सभी समस्याएं दूर हो गईं और अंत में उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।