
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनकी पूजा का विधान ऐसे तय किया गया है, जैसे राजा दशरथ के महल में अयोध्या के राजकुमार की पांच साल की अवस्था में सेवक सेवा कर रहे हों। रामलला राजकुमार की तरह ही जनता को दर्शन देते हैं। दान करते हैं, संगीत सुनते हैं ओर रोजाना चारों वेदों का पाठ भी सुनते हैं। भगवान राम के बारे में कहा जाता है कि वेद उनकी श्वांस हैं।
