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राष्ट्रीय

बगैर बारूद दागेगी गोला,DRDO बना रहा घातक रेलगन

बगैर बारूद दागेगी गोला, 200 किमी तक करेगी मार; DRDO बना रहा घातक रेलगन

( PUBLISHED BY – SEEMA UPADHYAY )

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) भी भविष्य के हथियारों पर काम कर रहा है। इसी सिलसिले में उन्होंने इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेलगन बनाने की शुरुआती तैयारी भी शुरू कर दी है. यह एक ऐसी तोप है जो 200 किमी की दूरी तक मार सकती है। यह तीनों भूमि, नौसैनिक और नौसैनिक बलों के लिए भविष्य का घातक हथियार है।

इसमें बारूद नहीं, बल्कि इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड का इस्तेमाल गोला-बारूद फायर करने के लिए किया जाता है। डीआरडीओ ने टेक्नोलॉजी फोकस जर्नल में रेलगन पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस पर उनकी पुणे स्थित प्रयोगशाला आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) में काम शुरू कर दिया गया है।

कैसे कार्य करती है रेलगन

विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र विद्युत प्रवाह के माध्यम से निर्मित होता है। इससे गतिज ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो ध्वनि की गति से छह से सात गुना की गति से गेंद को रेलगन में फेंकती है। यह आवश्यक है कि रेलगनों में केवल उन्हीं गोले का उपयोग किया जा सके जो विद्युत चुम्बकीय प्रवाह में सक्षम हों।

डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रवि गुप्ता का कहना है कि अमेरिका, रूस समेत कई देश इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेलगन पर काम कर रहे हैं। चीन ने भी ऐसा ही दावा किया है। ऐसे में अगर भारत भी इस पर काम करता है तो भविष्य की रक्षा चुनौतियों से निपटना महत्वपूर्ण साबित होगा।

फायदा

– रेलगन तोप से आगे की चीज है। तोप की मारक क्षमता 50-60 किलोमीटर तक। रेलगन की क्षमता 200 किलोमीटर तक।
– यह समुद्र में दुश्मन के जहाज उड़ाने, मिसाइल हमले टालने या दुश्मन के वायुयान को गिराने के लिए प्रयुक्त हो सकेगा।
– तोप से यह संभव नहीं है। छोटी मिसाइलों से जो काम हो सकते हैं, वह कार्य इससे किए जा सकेंगे। बारूद का इस्तेमाल नहीं होने के कारण लागत में कमी आएगी।

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