जो भी रात में इस मंदिर में रुका, उसकी हुई है मौत…
क्षेत्रीय लोगों के अनुसार, आल्हा और उदल ने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया। दोनों शारदा माता के बड़े भक्त थे। इन दोनों ने सबसे पहले जंगलों के बीच शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी।
( PUBLISHED BY – SEEMA UPADHYAY )
नवरात्रि के इस पावन पर्व पर आज हम आपको सतना जिले की मैहर तहसील के पास त्रिकूट पर्वत पर स्थित मैहर देवी के बारे में बता रहे हैं. मैहर का अर्थ है मां का हार। मैहर शहर से 5 किमी दूर त्रिकूट पर्वत पर माता शारदा देवी भी निवास करती हैं। इस पर्वत की चोटी के बीच में शारदा माता का मंदिर है। मान्यता क्या है?…
इस मंदिर के बारे में कई प्राचीन कथाएं प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में कोई भी व्यक्ति रात में नहीं रह सकता है, अगर कोई रहता है तो उसकी मृत्यु हो जाती है। इसका कारण यह है कि इस मंदिर में हर रात आल्हा और उदल नाम के दो चिरंजीवी माता के दर्शन करने आते हैं।
देवी को माई कहकर बुलाते थे आल्हा
क्षेत्रीय लोगों के अनुसार, आल्हा और उदल ने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया। दोनों शारदा माता के बड़े भक्त थे। इन दोनों ने सबसे पहले जंगलों के बीच शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। बाद में आल्हा ने इस मंदिर में 12 वर्षों तक तपस्या करके देवी को प्रसन्न किया था। जब माँ ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। आल्हा माता को शारदा माई के नाम से पुकारते थे। ऐसा माना जाता है कि आल्हा और उदल सबसे पहले मां शारदा के दर्शन करते हैं।
ये है प्रसिद्ध मान्यता
- मंदिर के पीछे पहाड़ों के नीचे एक तालाब है, जिसे आल्हा तालाब कहा जाता है। तालाब से 2 किलोमीटर आगे जाने के बाद एक अखाड़ा भी मिलता है जिसके बारे में कहा जाता है कि आल्हा और उदल यहां कुश्ती लड़ते थे।
- रात के समय मंदिर बंद रहता है। कहा जाता है कि इस समय दोनों भाई मां के दर्शन करने आते हैं। साथ में मां का पूरा श्रृंगार कर जाते हैं। यही वजह है कि यहां किसी को भी रात में रुकने की इजाजत नहीं है। अगर कोई यहां जबरन रहता है तो उसकी मौत हो सकती है।
- सतना का मैहर मंदिर पूरे भारत में माता शारदा का एकमात्र मंदिर है। इस पर्वत पर केवल माता का मंदिर ही नहीं है, इनके साथ ही काल भैरवी, भगवान हनुमान, देवी काली, देवी दुर्गा, गौरी-शंकर, शेष नाग, फूलमती माता, ब्रह्मा देव और जलपा देवी की भी पूजा की जाती है।
- त्रिकूट पर्वत पर मैहर देवी का मंदिर जमीनी स्तर से 600 फीट की ऊंचाई पर है। इस मंदिर के रास्ते में तीन सौ फीट तक की यात्रा कार से भी की जा सकती है।
इस तरह पहुंचे मैहर
- हवाई मार्ग से– जबलपुर सतना से 160 किमी और खजुराहो हवाई अड्डा 140 किमी दूर है। वहां से हवाई और सड़क मार्ग से सतना पहुंचा जा सकता है।
- रेल मार्ग– देश के कई शहरों से मैहर जिले के लिए ट्रेनें चलती हैं।
- सड़क मार्ग से– मैहर जिला देश के कई शहरों से मुख्य सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। इस कारण यहां बस या निजी वाहन से भी पहुंचा जा सकता है।