नहीं मिलता है इन रहस्यमय घटनाओं का जवाब…
( PUBLISHED BY – SEEMA UPADHYAY )
चमत्कारों का देश
यह कहना गलत नहीं होगा कि वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान एक ऐसे राष्ट्र के रूप में है जहां हर कदम पर कोई न कोई चमत्कार देखने को मिलता है। वैसे यह बात भी काफी हद तक सच है क्योंकि अक्सर देखा गया है कि दुनिया के तमाम देशों से जितने चमत्कारों से जुड़ी कहानियां एक साथ आती हैं, कमोबेश सिर्फ भारत की धरती पर ही घटती हैं.
पौराणिक घटनाएं
इनमें से कुछ कहानियां हमारे पौराणिक काल में घटित हुई हैं और कुछ वर्तमान समय से जुड़ी हैं। इनमें से कुछ तो महज इत्तेफाक हैं, जबकि कुछ वाकई सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि क्या वाकई ऐसा हो सकता है?
अनसुलझे सवाल
आइए आज हम आपको कुछ ऐसी कहानियों या घटनाओं से रूबरू कराते हैं जो एक ऐसे सवाल के रूप में सामने आई हैं जिसका जवाब विज्ञान भी नहीं दे पाया है।
जुड़वा बच्चों का गांव
इस कैटेगरी में सबसे पहला नाम केरल के कोढिनी गांव का आता है, जिसमें करीब 2000 परिवार रहते हैं. आप सोच रहे होंगे कि इतनी कम आबादी वाले इस गांव में ऐसा क्या है तो आपको बता दें कि महज 2000 परिवारों वाले इस गांव में करीब 250 जोड़े जुड़वां बच्चे रहते हैं।
डॉक्टरों की विवशता
इतना ही नहीं, यह आंकड़ा केवल आधिकारिक है क्योंकि स्थानीय लोगों के अनुसार यह संख्या 250 नहीं 350 है। हैरानी की बात यह है कि जुड़वा बच्चों की यह संख्या हर साल बढ़ रही है। ऐसा क्यों है, इस बात का जवाब खुद डॉक्टरों के पास भी नहीं है। डॉक्टरों का मानना है कि या तो ये लोग कुछ ऐसा खाते हैं जिससे जुड़वा बच्चों को जन्म मिलता है या फिर यह कोई आनुवंशिक प्रक्रिया है। प्रामाणिक उत्तरों के अभाव में जुड़वाँ बच्चों का यह गाँव एक बड़ा रहस्य बना हुआ है।
जोधपुर का धमाका
18 दिसंबर 2012 की आधी रात को जोधपुर के लोग जोरदार धमाकों की आवाज से सहम गए। लेकिन यह धमाका कहां हुआ, आवाज क्या थी, यह आज तक पता नहीं चल पाया है। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बड़ा बम फट गया हो, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। जोधपुर का यह धमाका आज तक सवाल बना हुआ है।
रहस्यमय आवाज
अगर यह रहस्यमयी धमाका उस दिन सिर्फ जोधपुर में होता तो शायद इसे इत्तेफाक समझ कर नजरअंदाज कर दिया जाता। लेकिन ऐसा ही रहस्यमयी धमाका इंग्लैंड से टेक्सास तक हुआ। करीब एक महीने तक यह सब चलता रहा लेकिन इस धमाके की वजह किसी को पता नहीं चल पाई।
नौ रहस्यमय लोग
नौ लोगों का यह रहस्यमय समाज पहली बार 273 ईसा पूर्व में अस्तित्व में आया था जब सम्राट अशोक ने स्वयं लाखों लोगों का खून बहाकर इसकी स्थापना की थी। इन नौ लोगों का काम उस जानकारी और ज्ञान को गुप्त रखना था जो गलत हाथों में पड़ने पर तबाही मचा सकती थी। ये नौ लोग हर काल में बदलते रहे, लेकिन इनकी संख्या हमेशा नौ ही रही।
बड़ी जिम्मेदारियां
ये नौ लोग जनता के बीच रहते थे लेकिन अपनी पहचान छुपाते थे। उन्हें दुनिया भर में उच्च पदों पर, महान जिम्मेदारियों को निभाने के लिए भेजा गया था। कहा जाता है कि भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई और दसवीं सदी के पोप सिल्वेस्टर द्वितीय इस गुप्त समाज का हिस्सा थे।
ताज महल विवाद
खूबसूरती की मिसाल बन चुके ताजमहल को दुनिया भर के लोग शाहजहां की लाडली बेगम मुमताज की कब्र के नाम से जानते हैं। लेकिन क्या ताजमहल सच में एक मकबरा है? इस सवाल का जवाब एक विवाद बन गया है क्योंकि इतिहासकार पी.एन. ओक के अनुसार, ताजमहल अपने मूल रूप में “तेजो महालय” नामक एक शिव मंदिर था, जो लगभग 300 वर्ष पुराना है।
पीएन ओक ने अपने सिद्धांत में गवाही दी है कि शाहजहाँ ने बस इस मंदिर पर कब्जा कर लिया और इसे मुमताज का मकबरा नाम दिया। जबकि असल में यह एक हिंदू मंदिर है। इस सवाल का जवाब तब तक नहीं मिल सकता जब तक सरकार अपने बंद दरवाजों के पीछे छिपे रहस्यों को नहीं समझती।
कुलधरा का श्रापित गांव
करीब 500 साल पहले 1500 लोग कुलधरा गांव में रहते थे। लेकिन एक रात अचानक पूरा गांव बिल्कुल खाली हो गया। ऐसा नहीं है कि वो लोग मर गए या उन्हें अगवा कर लिया गया, वह बस भाग गए। कहा जाता है एक अत्याचारी जमींदार के खौफ की वजह से उन्होंने रातोंरात यह पूरा गांव खाली कर दिया।
जाते-जाते वे लोग इस गांव को एक ऐसा श्राप दे गए जो आज भी इस गांव की बरबादी कहता है। वह श्राप था कि जो भी रात के समय इस गांव में रुकेगा वो वापस नहीं जा पाएगा। तब से लेकर आज तक कोई भी व्यक्ति एक रात के लिए भी यहां नहीं रुका और जो रुका वह सुबह का सूरज नहीं देख पाया।
भूत बिल्ली की दहशत
पुणे की सड़कों पर रात के समय एक ऐसा जीव दिखाई देता है जो बिल्ली, कुत्ते और नेवले का मिश्रण होता है। चश्मदीदों के मुताबिक चौड़ी पूंछ और डरावनी आंखों वाली यह बिल्ली बेहद डरावनी है, जिसका चेहरा कुत्ते जैसा है और पीठ नेवले की तरह है। पुणे में भी कई ऐसी कहानियां हैं जहां लोगों ने एक भयानक शरीर वाले राक्षस को देखने की बात भी कही है।
पुनर्जन्म की कहानी
शांति देवी का जन्म 1930 में एक संपन्न और संपन्न परिवार में हुआ था। लेकिन जब वह केवल 4 साल की थी, तो उसने अपने माता-पिता को पहचानने से इनकार कर दिया और कहने लगी कि वे उसके असली अभिभावक नहीं थे। उन्होंने कहा कि उसका नाम लुगड़ी देवी है और एक बच्चे को जन्म देते समय उसकी मृत्यु हो गई। इतना ही नहीं वह अपने पति और परिवार से जुड़ी और भी कई जानकारियां देने लगीं।
कृष्ण से मुलाकात
शांति देवी ने न केवल अपने पिछले जन्म को याद किया बल्कि उन्हें यह भी याद आया कि कैसे उन्होंने मृत्यु के बाद और जन्म से पहले भगवान कृष्ण के साथ अपना समय बिताया था। उसने कहा कि वह कृष्ण से मिली थी और कृष्ण चाहते थे कि वह अपने पिछले जन्म की घटना सभी को बताए, इसलिए शांति देवी को हर घटना याद है। कई लोगों ने कोशिश की लेकिन कोई भी शांति देवी को झूठा साबित नहीं कर सका।