
रायपुर। राजधानी रायपुर में शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात एक पत्रकार के घर में पुलिस के अचानक पहुंचने से हड़कंप मच गया। जानकारी के अनुसार, बुलंद छत्तीसगढ़ के संपादक मनोज पांडे के घर पुलिस की कई गाड़ियाँ रात लगभग 1 बजे पहुंचीं और गेट तोड़कर जबरन अंदर घुस गईं। घटना के समय घर में केवल महिलाएँ मौजूद थीं।
संपादक की बेटी वंशिका पांडे ने बताया कि रात करीब 1 बजे 5 से 6 पुलिस वाहन उनके घर पहुंचे। पुलिसकर्मी लगातार गेट खटखटाते और बेल बजाते रहे। जब उन्होंने बाहर आकर पूछा कि क्या बात है, तो पुलिसकर्मियों ने कहा— “हम आपके पापा को लेने आए हैं।”
वंशिका ने बताया कि उन्होंने पुलिस को सूचित किया कि उनके पिता घर पर नहीं हैं और सुबह लौटेंगे, लेकिन पुलिसकर्मी गेट खोलने के लिए दबाव डालते रहे। जब घर की महिलाओं ने दरवाजा नहीं खोला, तो पुलिस ने मशीन से गेट तोड़ दिया।
घर में तलाशी और कथित बदसलूकी
वंशिका का आरोप है कि घर में घुसने के बाद पुलिसकर्मियों ने सभी कमरों और अलमारियों की तलाशी ली। इस दौरान उनकी मां और बहन को धक्का-मुक्की में चोटें आईं। उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मी CCTV DVR से भी छेड़छाड़ कर रहे थे और जब उनकी मां ने रोकने की कोशिश की तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।
परिवार का कहना है कि पुलिस ने तलाशी के दौरान कोई वॉरंट या लिखित आदेश नहीं दिखाया। इसके अलावा घर के ऊपर किराए से रहने वाली लड़कियों के कमरों में भी तलाशी ली गई।
वंशिका ने आरोप लगाया कि अधिकतर पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में थे, केवल दो ही वर्दी में थे और कुछ ने शराब पी रखी थी। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिसकर्मी जूते पहनकर मंदिर वाले हिस्से में चले गए और रोकने पर अभद्र टिप्पणी की।
ढाई घंटे तक चला हंगामा
घटना के दौरान पुलिस करीब ढाई घंटे तक घर में मौजूद रही। परिवार का कहना है कि पुलिस जाते-जाते कह गई कि “हम सुबह फिर आएंगे, तब और दिक्कत होगी।”
वंशिका पांडे ने इस घटना को लेकर पत्रकार समुदाय से समर्थन की अपील की है और आरोप लगाया कि यह पूरी कार्रवाई बिना वॉरंट और महिला सुरक्षा मानकों की अनदेखी में की गई।