छत्तीसगढ़ में गौसेवा समितियों का गठन, 934 अध्यक्ष व सदस्य नियुक्त

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने गौ-सेवा आयोग नियम 2005 में संशोधन करते हुए जिला और ब्लॉक स्तरीय गौसेवा समितियों का गठन किया है। राज्य गठन के बाद पहली बार इतने व्यापक स्तर पर यह पहल की गई है। इन समितियों के अध्यक्ष और सदस्यों को 3 साल के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई है।
राज्यभर में कुल 934 अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की गई है। हर समिति में एक अध्यक्ष और 5 सदस्य शामिल होंगे। रायपुर में लोमस कुमार यदु, दुर्ग में विजय अग्रवाल और सूरजपुर में विजय शर्मा को अध्यक्ष बनाया गया है।
गौशालाओं की मॉनिटरिंग और नई गौशालाओं की स्थापना में भूमिका
ये समितियां गौशालाओं के पंजीकरण, निरीक्षण, जैविक खेती, पंचगव्य उत्पादन और गौशाला प्रबंधन की निगरानी करेंगी। साथ ही तस्करी की घटनाओं पर नजर रखेगी और नई गौशालाओं की स्थापना में अहम भूमिका निभाएंगी।
जिला और ब्लॉक स्तरीय समितियां गौशालाओं के निरीक्षण, अनुदान वितरण, इंफ्रास्ट्रक्चर, पोषण और पशुधन स्वास्थ्य की रिपोर्ट गो-सेवा आयोग को सौंपेंगी। नई गौशालाओं के पंजीकरण आवेदन ब्लॉक समिति की अनुशंसा और जिला समिति की मंजूरी के बाद ही स्वीकृत होंगे।
हर महीने होगी बैठक
आदेश के अनुसार, जिला स्तरीय समिति हर दो महीने में और ब्लॉक स्तरीय समिति हर महीने बैठक करेगी। बैठक की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष करेंगे, जबकि उनकी अनुपस्थिति में कोई सदस्य अध्यक्षता करेगा। बैठकों के आयोजन और प्रबंधन की जिम्मेदारी समिति सचिव की होगी।
गुणवत्ता और पारदर्शिता पर जोर
सरकार का कहना है कि इस पहल से गौसेवा और पशुपालन के क्षेत्र में गुणवत्ता, दक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। ग्रामीणों को जैविक खेती और पंचगव्य उत्पादन के लिए प्रशिक्षित किया जा सकेगा, जिससे राज्य में गौशालाओं का समग्र विकास होगा।
तीन साल का कार्यकाल
जिला और विकासखंड स्तरीय समितियों का कार्यकाल 3 वर्ष का होगा। राज्य शासन आवश्यकतानुसार किसी भी समय इन नियुक्तियों को निरस्त कर सकता है। यह व्यवस्था प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है।







