CJI गवई पर जूता फेंकने वाले वकील बोले- उनके बयान से आहत था, नशे में नहीं था

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर कुमार ने सोमवार को अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि CJI के भगवान विष्णु पर दिए गए बयान से वे आहत हुए थे। उन्होंने कहा, “CJI के एक्शन पर मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था। जो हुआ, उसका मुझे अफसोस नहीं और किसी का डर भी नहीं है।”
राकेश ने कहा कि चीफ जस्टिस कई बार धार्मिक मामलों में ऐसे कदम उठाते हैं, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर कब्जे से जुड़े केस में भी विशेष समुदाय को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पहले स्टे लगाया था, जो अब तक जारी है।
इस घटना पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष विक्रम सिंह ने कहा कि CJI की टिप्पणी को गलत ढंग से पेश किया गया, जिससे ऐसा लगा कि उन्होंने भगवान का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि वकील ने सिर्फ प्रसिद्धि पाने के लिए यह कदम उठाया।
तीन घंटे पूछताछ के बाद छोड़ा गया, लाइसेंस रद्द
घटना के बाद पुलिस ने राकेश को हिरासत में लेकर सुप्रीम कोर्ट कैंपस में तीन घंटे पूछताछ की। अधिकारियों ने कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई, जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने राकेश का लाइसेंस रद्द कर दिया, जबकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी तत्काल प्रभाव से उसका निलंबन आदेश जारी किया है।
BCI चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि यह वकीलों के आचरण के विरुद्ध है। निलंबन के दौरान आरोपी किसी भी अदालत में प्रैक्टिस नहीं कर सकेगा। अगले 15 दिनों में उसे शो कॉज नोटिस भी जारी किया जाएगा।
बार एसोसिएशन ने कहा कि इस तरह का असंयमित व्यवहार न्यायपालिका और वकील समुदाय के पारस्परिक सम्मान की नींव को हिलाता है। यह न्याय के ताने-बाने को कमजोर करता है।
क्यों फेंका जूता: वकील का पक्ष
राकेश ने कहा कि 16 सितंबर को खजुराहो में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की बहाली को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान CJI की टिप्पणी से वे बेहद आहत हुए। उन्होंने कहा, “गवई साहब ने कहा कि जाओ, भगवान से खुद करने को कहो। जब सनातन धर्म से जुड़े मामलों पर इस तरह का मजाक उड़ाया जाता है, तो पीड़ा होती है।”
6 अक्टूबर को गिरफ्तार होने के बाद वकील ने नारा लगाया था— “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।”
प्रधानमंत्री और विपक्ष की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने CJI से बात कर घटना की निंदा की। उन्होंने कहा कि ऐसे कृत्यों के लिए समाज में कोई स्थान नहीं है। CJI ने जिस संयम का परिचय दिया, वह न्याय और संविधान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दिखाता है।
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह केवल एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि संविधान और कानून के शासन पर सीधा हमला है।
CJI की टिप्पणी और सफाई
16 सितंबर को खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फीट ऊंची खंडित मूर्ति की बहाली की याचिका पर CJI गवई ने कहा था— “जाओ और भगवान से खुद करने को कहो।”
विवाद बढ़ने पर 18 सितंबर को उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया। वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।
VHP की प्रतिक्रिया
VHP के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि न्यायालय न्याय का मंदिर है, इसलिए सभी को—चाहे वे वकील हों या न्यायाधीश—अपनी वाणी में संयम रखना चाहिए ताकि लोगों का न्यायपालिका पर विश्वास कायम रहे।