
जगदलपुर l विश्व प्रसिद्ध 75 दिवसीय बस्तर दशहरा पर्व के प्रमुख अनुष्ठानों में से एक भीतर रैनी की रस्म गुरुवार को संपन्न हुई। इस अवसर पर भव्य आठ चक्कों वाले विजय रथ की परिक्रमा कराई गई। रथ को खींचने के लिए कोड़ेनार और किलेपाल क्षेत्र सहित दूर-दराज के गाँवों से बड़ी संख्या में आदिवासी जन पहुंचे और लगातार बारिश के बावजूद पूरे उत्साह के साथ रथयात्रा में शामिल हुए।
विजय रथ को विशेष सजावट के साथ तैयार किया गया था। विधि-विधान से पूजा-अर्चना और मां दंतेश्वरी के छत्र को रथ पर विराजमान कराने के बाद पुलिस जवानों ने हर्ष फायर कर सलामी दी। इसके पश्चात रथ को खींचा गया।
यह परिक्रमा मावली मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, गोलबाजार चौक, गुरु नानक चौक होते हुए दंतेश्वरी मंदिर तक पहुंची। रथ पर मां दंतेश्वरी की डोली और छत्र विराजमान थे, वहीं इसके आगे सुसज्जित वाहन में मावली मां की डोली और छत्र रखे गए।
रथ के साथ बस्तर संभाग के विभिन्न क्षेत्रों से आए देवी-देवताओं के छत्र, डोलियाँ और लाठ लिए पुजारी व सेवक चल रहे थे। पूरे मार्ग में आंगादेव दौड़कर मार्ग से अवरोध हटाते नजर आए।
इस भव्य आयोजन को देखने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण और नगरवासी मौजूद रहे। बारिश के बावजूद भीतर रैनी की रस्म और विजय रथ की परिक्रमा ने बस्तर दशहरे की गरिमा और वैभव को और अधिक प्रखर कर दिया।







