अमेरिका में दवाओं पर 100% टैरिफ, हिमाचल समेत भारतीय उद्योगों पर बड़ा असर

नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दवाओं पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह टैरिफ 1 अक्तूबर से लागू होगा। फैसले के बाद अमेरिका में सप्लाई होने वाली दवाओं की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी। इसका सीधा असर भारत के दवा उत्पादकों पर पड़ेगा, खासकर हिमाचल प्रदेश की उन कंपनियों पर जो बड़े पैमाने पर दवाओं का निर्यात करती हैं।
अमेरिका भारत में बनने वाली दवाओं का बड़ा खरीदार रहा है। हिमाचल की करीब एक दर्जन कंपनियां वहां दवाएं सप्लाई करती हैं। इनमें इमाकल्स लाइफ साइंस, एक्मे जेनरिक, मोरपेन, पिनाकल, एल्कम, मेकलियोड्स, ग्लेनमार्क, जेड्स केडला, ओक्सेलिस और पनेशिया जैसी कंपनियां शामिल हैं।
अमेरिका और यूरोपीय नेताओं ने हाल ही में एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें दवाइयों समेत कुछ यूरोपीय वस्तुओं पर 15 फीसदी टैरिफ शामिल है। ट्रंप पहले दवाओं पर 200 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दे चुके थे। अब उन्होंने ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया है। हालांकि यह टैक्स उन कंपनियों पर लागू नहीं होगा जो अमेरिका में ही दवा निर्माण इकाई स्थापित कर रही हैं।
गौरतलब है कि भारत पर अमेरिका पहले ही कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर और सी-फूड जैसे प्रोडक्ट्स पर 50 फीसदी टैरिफ लगा चुका है। यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू है। अब दवाओं पर भी शुल्क लगाने से भारतीय निर्यातकों को बड़ा झटका लगा है।
भारत से गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र और हिमाचल से दवाओं का निर्यात अमेरिका होता है। अमेरिका में केवल वही कंपनियां दवाएं बेच सकती हैं जिन्हें यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) से प्रमाणपत्र मिला हो।
हिमाचल ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (HDMA) के प्रवक्ता संजय शर्मा ने कहा कि इस फैसले से अमेरिकी बाजार से भारत की दवाएं बाहर हो सकती हैं। वहीं, प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर डॉ. मनीष कपूर ने भी माना कि इस कदम का प्रदेश के दवा उद्योग पर गंभीर असर पड़ेगा।