
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद की पहाड़ियों में गुरुवार सुबह सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में केंद्रीय समिति स्तर का शीर्ष माओवादी आतंकी, एक करोड़ का इनामी मोडेम बालकृष्ण मारा गया। इस कार्रवाई में उसके साथ 10 अन्य नक्सली भी ढेर हो गए।
यह मुठभेड़ उस लाल आतंक पर निर्णायक प्रहार है, जिसने पांच दशकों से अधिक समय तक आदिवासी अंचलों को दहशत में रखा। वर्ष 2025 माओवादियों के लिए सबसे घातक साबित हो रहा है। बसवराजू, सुधाकर, चलपति, उदय और अब बालकृष्ण संगठन के ये बड़े चेहरे एक-एक कर ढेर हो चुके हैं।
इतिहास में पहली बार हुआ है कि एक वर्ष में माओवादी संगठन के पांच केंद्रीय समिति सदस्य मुठभेड़ों में मारे गए। इससे पहले 1999 में तेलंगाना के करीमनगर जिले में तीन शीर्ष सदस्य मारे गए थे।
छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा के बीच समन्वय, खुफिया एजेंसियों की पैनी नजर और सुरक्षा बलों के साहस ने माओवादी नेटवर्क को तोड़कर रख दिया है। अकेले छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों में 465 से अधिक माओवादी मारे गए हैं, जिनमें 400 से ज्यादा बस्तर से थे। इनमें 25 लाख इनामी जोगन्ना, नीति, रुपेश, सुधीर और जगदीश जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
प्रदेश सरकार के मुताबिक, अब बस्तर विकास और निवेश की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हाल ही में ‘बस्तर इन्वेस्टर कनेक्ट’ के जरिए 965 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव आए हैं। गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का संकल्प है कि आने वाले वर्षों में माओवादी आंदोलन इतिहास की किताबों में सिमट जाएगा।