सत्ता की चमक के बजाय कालिख बने CPR डॉ. मित्तल

- CM की छवि सँवारने लाए गए थे ‘भरोसेमंद’, मगर बिगाड़ने में जुटे हैं!
- क्या मित्तल किसी ‘गुप्त एजेंडे’ के तहत मुख्यमंत्री को ही ‘निपटा’ रहे हैं?
रायपुर। मुख्यमंत्री ने जिस भरोसे के साथ डॉ. रवि मित्तल को आगे बढ़ाया था, उसका नतीजा बिल्कुल उल्टा सामने आ रहा है। सरकार की छवि चमकाने के बजाय मित्तल की कार्यशैली और विवादित कदमों ने मुख्यमंत्री की साख पर ही कीचड़ उछालना शुरू कर दिया है। यह सवाल अब ज़ोर पकड़ रहा है कि क्या मित्तल किसी और के इशारे पर मुख्यमंत्री को कमजोर करने का खेल तो नहीं खेल रहे?
दरअसल, डॉ. मित्तल की नियुक्ति को मुख्यमंत्री के एक ‘स्ट्रैटेजिक मूव’ के रूप में देखा गया था। उद्देश्य साफ़ था – जनता के बीच सरकार की छवि सुधरे और मुख्यमंत्री की लोकप्रियता नई ऊँचाई पर पहुँचे। लेकिन अब तक उनके खाते में कोई ऐसा ठोस या चमत्कारी काम नहीं है, जिससे मुख्यमंत्री का कद बढ़ा हो। उलटा, उनकी हरकतों ने सरकार को संदेह और आलोचना के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है।
जनता में यह धारणा मज़बूत होती जा रही है कि मित्तल अपने दायित्व से भटक चुके हैं। वे न केवल अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहे हैं, बल्कि मुख्यमंत्री के नाम और काम दोनों को चोट पहुँचा रहे हैं। यही वजह है कि राजनीतिक गलियारों में कानाफूसी शुरू हो चुकी है – क्या मित्तल दरअसल किसी और राजनीतिक धड़े या ‘गुप्त एजेंडे’ के तहत मुख्यमंत्री को ही निशाने पर ले रहे हैं?
मुख्यमंत्री कब तक नज़रअंदाज़ करते रहेंगे?
स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री की जो ‘भरोसेमंद टीम’ सरकार की ताकत बननी चाहिए थी, वही अब सरकार की सबसे बड़ी कमजोरी साबित हो रही है। डॉ. मित्तल पर उठते सवाल और उनकी विवादित गतिविधियाँ विपक्ष को बैठे-बिठाए हथियार दे रही हैं।
आख़िर मुख्यमंत्री कब तक इस ‘अंदरूनी सेंध’ को नज़रअंदाज़ करते रहेंगे?
कहीं ऐसा न हो कि जिन पर सबसे ज़्यादा भरोसा किया गया, वही सत्ता की नींव हिलाने का काम कर जाएँ।