
सांब सदाशिव (Saamb Sadashiv) हिंदू धर्म में भगवान शिव का एक विशेष रूप है, जिसका गहरा आध्यात्मिक और दार्शनिक महत्व है। यह नाम विशेष रूप से “त्रैवेदिक दर्शन” और शैव तांत्रिक परंपरा में मिलता है….
सांब (Saamb):
इसका अर्थ होता है – ‘सा’ + ‘अम्बा’, यानी “शक्ति के साथ संयुक्त शिव”।
- सा (सा शक्ति) = देवी पार्वती
- अंबा = माँ शक्ति
यानी, यह रूप शिव और शक्ति का अविभाज्य स्वरूप है।
सदाशिव:
इसका अर्थ है – सदैव शुभ और कल्याणकारी शिव, जो पंचमुखी शिव या पंचब्रह्म स्वरूप में माने जाते हैं।
शिव-शक्ति का संयुक्त रूप:
- सांब सदाशिव यह दर्शाते हैं कि शिव बिना शक्ति के निष्क्रिय हैं।
- यह स्वरूप अद्वैत (एकत्व) की अवधारणा को दर्शाता है – जहाँ शिव और शक्ति अलग नहीं बल्कि एक ही हैं।
पंचमुखी रूप (Five-Faced Form):
- सदाशिव के पाँच मुख माने जाते हैं:
- ईशान – ज्ञान
- तत्पुरुष – तपस्या
- अघोर – विनाश और पुनर्निर्माण
- वामदेव – सौंदर्य और संरक्षण
- सद्योजात – सृजन
- ये पाँच मुख पंच तत्वों, पंचवर्णों, पंचक्रियाओं और पंचज्ञानों के प्रतीक हैं।
तांत्रिक महत्त्व:
- तंत्र में “सांब सदाशिव” को परम गुरु और आदिशक्ति के साथ ब्रह्मांडीय संतुलन का स्रोत माना गया है।
- कई तांत्रिक साधनाओं में उन्हें साध्य और आराध्य माना जाता है।
कश्मीर शैव दर्शन में:
- कश्मीर के त्रिक दर्शन में सांब सदाशिव को सर्वोच्च तत्त्व या परम शिव माना जाता है।
- यह ब्रह्मांड के प्रकट होने से पूर्व की चेतना की अवस्था है – पूर्णत्व का प्रतीक।