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प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना से बदली जिंदगी

प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना ने  जिले के अनेक परिवारों की आर्थिक स्थिति और ऊर्जा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव लाया है। भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी पहल का उद्देश्य सौर ऊर्जा को घर-घर पहुंचाकर आमजन को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। योजना के अंतर्गत छत पर सोलर प्लांट स्थापित करने पर केंद्र सरकार द्वारा 30 हजार से लेकर 78 हजार रुपए तक की सब्सिडी दी जा रही है। अब छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 30 हजार रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी दी जा रही है, जिससे यह योजना और अधिक प्रभावी हो गई है।

जिला खैरागढ़ की निवासी श्रीमती भारती सिंह ने अपने मकान की छत पर 10 किलोवाट का ऑन-ग्रिड सोलर प्लांट स्थापित किया है। उन्हें इस पर केंद्र सरकार से 78 हजार रुपये की सब्सिडी प्राप्त हुई है। उन्होंने बताया कि इस संयंत्र से उन्हें बिजली बिल में लगभग 75 प्रतिशत तक की बचत हो रही है। सौर ऊर्जा के माध्यम से उन्हें सस्ती, स्वच्छ और अबाधित बिजली मिल रही है। उनका मानना है कि यह योजना आम परिवारों के लिए एक सुनहरा अवसर है।

इसी तरह गंजीपारा निवासी श्री शिवादित्य सिंह ने अपने घर की छत पर 5 किलोवाट का सोलर संयंत्र लगाया है। उन्होंने बताया कि योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी के कारण उन्हें संयंत्र की लागत काफी किफायती पड़ी है और अब उनका बिजली खर्च पर लगभग समाप्त हो गया है। वे इसे आम जनता के लिए वरदान मानते हैं। खैरागढ़ नगर के अमलीपारा वार्ड निवासी श्री नीलांबर सिंह ने 4 किलोवाट क्षमता का सोलर प्लांट स्थापित कराया है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक उन्हें न केवल आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि पर्यावरण के संरक्षण में भी मददगार साबित हो रही है। वहीं नगर के श्री मनीष अग्रवाल ने भी अपने मकान की छत पर 5 किलोवाट का सौर प्लांट लगाया है। उन्होंने बताया कि उन्हें बिजली की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ बिल में भी उल्लेखनीय कमी देखने को मिल रही है।

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के कार्यपालन अभियंता श्री अशोक कुमार द्विवेदी ने बताया कि प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना के तहत एक, दो और तीन किलोवाट की श्रेणियों में क्रमशः 30 हजार, 60 हजार और 78 हजार रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है। एक किलोवाट संयंत्र से प्रतिमाह लगभग 120 यूनिट बिजली निःशुल्क प्राप्त होती है, वहीं तीन किलोवाट संयंत्र से 360 यूनिट तक की बिजली उत्पादन संभव है। संयंत्र की स्थापना पर केंद्र सरकार की ओर से 25 वर्षों की वारंटी दी जाती है, जबकि अधिकृत वेंडर द्वारा 5 वर्षों तक प्लांट का निःशुल्क संधारण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह योजना पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे ग्रामीण और शहरी उपभोक्ता दोनों ही लाभान्वित हो रहे हैं।

योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक उपभोक्ताओं को चउेनतलंहींतण्हवअण्पद पोर्टल पर जाकर पंजीयन करना होगा। पोर्टल पर राज्य, बिजली वितरण कंपनी और कंज्यूमर नंबर की जानकारी भरकर आवेदन किया जाता है। अनुमोदन मिलने के पश्चात अधिकृत वेंडर से संयंत्र की स्थापना करानी होती है। संयंत्र स्थापित होने के बाद नेट मीटर की प्रक्रिया पूरी कर, आवश्यक दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड किए जाते हैं। बैंक खाता विवरण और रद्द चेक जमा करने के उपरांत 30 कार्य दिवसों के भीतर सब्सिडी की राशि उपभोक्ता के खाते में स्थानांतरित कर दी जाती है।

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