Bajrang Baan : बजरंग बाण का महत्व
बजरंग बाण का महत्व
बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं।
यह हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने का अचूक उपाय है। इसे मंगलवार या शनिवार को पढ़ने से विशेष लाभ होता है।
यह नकारात्मक शक्तियों, भूत-प्रेत बाधाओं और बुरी नजर से रक्षा करता है।
अगर आप बजरंग बाण का पाठ करना चाहते हैं, तो इसे पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। 🚩 जय बजरंग बली! 🚩
Bajrang Baan : संकटों और बाधाओं से मुक्ति
बजरंग बाण का नियमित पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएँ, परेशानियाँ और संकट दूर हो जाते हैं।
हनुमान जी को संकटमोचक कहा जाता है, इसलिए उनके इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में सुख-शांति और सुरक्षा बनी रहती है।
नकारात्मक ऊर्जा और भय का नाश यदि कोई व्यक्ति भूत-प्रेत बाधा, बुरी नजर या किसी तंत्र-मंत्र के प्रभाव से पीड़ित हो, तो बजरंग बाण का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।
यह हनुमान जी का ऐसा स्तोत्र है, जो किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को तुरंत नष्ट कर देता है। मनोकामना पूर्ति
जो भी भक्त सच्चे मन से हनुमान जी की भक्ति करता है और बजरंग बाण का पाठ करता है, उसकी सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
विशेष रूप से यह कार्यसिद्धि और मनचाहा फल प्राप्त करने के लिए एक अचूक उपाय माना जाता है।
Bajrang Baan : शत्रुओं और विरोधियों पर विजय
यदि कोई व्यक्ति शत्रुओं से परेशान है, तो बजरंग बाण का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है। यह पाठ व्यक्ति को साहस, आत्मविश्वास और शक्ति प्रदान करता है, जिससे वह अपने विरोधियों पर विजय प्राप्त करता है। ग्रह दोष और कुंडली दोष का निवारण
जिन लोगों की कुंडली में शनि, राहु, केतु या अन्य अशुभ ग्रहों का प्रभाव होता है, उनके लिए बजरंग बाण का पाठ अत्यंत शुभ होता है।
इसे विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को पढ़ने से शनि दोष, कालसर्प दोष और पितृ दोष शांत हो जाते हैं।
Bajrang Baan : धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख में वृद्धि
यह पाठ करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
इससे आर्थिक समस्याएँ समाप्त होती हैं और व्यक्ति को धन, स्वास्थ्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
Bajrang Baan : बजरंग बाण पाठ करने की विधि
बजरंग बाण का पाठ मंगलवार या शनिवार को करने से विशेष लाभ मिलता है।
पाठ करने से पहले हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और चोला चढ़ाएँ। शुद्ध मन और तन से, लाल वस्त्र पहनकर पाठ करें।
पाठ के बाद हनुमान चालीसा और आरती करें।
इस पाठ को करने से पहले और बाद में ब्रह्मचर्य (संयम) का पालन करना चाहिए।