रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से संचालित साप्ताहिक बुलंद छत्तीसगढ़ एवं दैनिक समाचार पत्र बुलंद मीडिया के संपादक मनोज पाण्डेय को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत देते हुए झूठे जातिगत अपशब्द वाले आरोप के प्रकरण में बड़ी राहत दी है। मामले का संक्षिप्त विवरण यह है कि पिछले 10 से 15 वर्षों मे अलग-अलग राज्य सरकार के अंतर्गत किए गए निर्माण कार्य मे भीषण अनियमितता को अपने साप्ताहिक समाचार पत्र में मनोज पाण्डेय के द्वारा उजागर किया गया था।
जिसके एवज मे माह अप्रैल 2023 की घटना बताते हुए, घटना के लगभग 7 माह पश्चात झूठ तथा निचली जाति के एक कर्मी को गाली गलौज करने के संबंध मे प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई थी जिसको लेकर मनोज पाण्डेय की अग्रिम जमानत याचिका माह अगस्त 2024 को माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के द्वारा खारिज की गई थी। उच्च न्यायालय के द्वारा आदेश मे यह उल्लेखित किया गया था कि अभियुक्त पाण्डेय के विरुद्ध कुछ अन्य मामले भी दर्ज हुए है तथा इसके अतिरिक्त एक संपादक के रूप मे उनकी भूमिका संदिग्ध है ।
पाण्डेय ने उक्त आदेश को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव के द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती देते हुए एक स्पेशल लीव पिटिशन दायर किया तथा यह गुहार लगाई कि इस मामले मे अभियुक्त को एक ईमानदार और कर्मठ पत्रकार होने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। याचिका मे यह भी कहा गया कि चूंकि मामला अनुसूचित जाति तथा जनजाति के एक कर्मी के विरुद्ध किए गए अपशब्दों के प्रयोग से संबंधित है।
अपितु इस मामले की शिकायत एक सामान्य वर्ग के ठेकेदार के द्वारा की गई है। इसके अलावा मामले को सोच समझकर 7 माह पश्चात एक प्रथम सूचना रिपोर्ट का रूप दिया गया है ताकि याचिकाकर्ता मानसिक रूप से दबाव मे आकर अपनी ईमानदार और कर्मठ पत्रकारिता से पीछे हट जाए और किसी भी प्रकार की अनियमित गतिविधियों को उजागर ना करें ।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की पहली सुनवाई के दिन ही याचिककर्ता को अग्रिम जमानत की अंतरिम राहत दे दी थी किन्तु पिछले गुरुवार को इस मामले की फाइनल सुनवाई की जिसमे याचिकाकर्ता के उपरोक्त सभी न्याय संगत कथनों को आगे रखते हुए उनके अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने बताया कि अभियुक्त के ऊपर दर्ज किया गया प्रथम सूचना रिपोर्ट सिर्फ उनकी ईमानदारी के साथ पत्रकारिता के गतिविधियों का ही परिणाम है
जिसके कारण इनके उपर लगातार दबाव बनाया गया और घटना दिनांक के 7 महीने बाद द्वेषपूर्ण तरीके से दबाव बनाकर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई । सभी पक्षों को सुनने के पश्चात माननीय सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण की परिस्थिति तथा मामले की प्रवृति को देखकर याचिकाकर्ता मनोज पाण्डेय को पूर्णत: अग्रिम जमानत प्रदान किया ।