सोनिया गांधी का मोदी सरकार पर हमला, फलस्तीन मुद्दे पर चुप्पी को बताया शर्मनाक

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बार फिर फलस्तीन मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत जैसे देश को इस मसले पर नेतृत्व दिखाना चाहिए था, लेकिन केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया गहरी चुप्पी और मानवता व नैतिकता से पीछे हटने जैसी रही। सोनिया गांधी ने दावा किया कि मोदी सरकार का रुख भारत के संवैधानिक मूल्यों या रणनीतिक हितों पर नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की निजी दोस्ती पर आधारित है।
मोदी सरकार की चुप्पी पर उठे सवाल
पीटीआई के हवाले से बताया गया कि सोनिया गांधी ने यह बातें एक लेख में कहीं, जो अखबार द हिंदू में प्रकाशित हुआ। यह पिछले कुछ महीनों में फलस्तीन मुद्दे पर उनका तीसरा सार्वजनिक लेख है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने 1988 में फलस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी थी और ऐतिहासिक रूप से फलस्तीन की जनता के अधिकारों का समर्थन किया है।
इस्राइल की कार्रवाई को बताया नरसंहार
सोनिया गांधी ने कहा कि अक्टूबर 2023 में हमास हमले के बाद इस्राइल की जवाबी कार्रवाई नरसंहार जैसी रही। इस संघर्ष में अब तक 55,000 से अधिक फलस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं, जिनमें 17,000 से ज्यादा बच्चे शामिल हैं। गाजा की स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि लोगों को भूखमरी पर छोड़ दिया गया है और यहां तक कि खाने की लाइन में लगे नागरिकों को भी गोली मारी गई, जो अमानवीय है।
भारत के रुख को बताया चिंताजनक
सोनिया गांधी ने कहा कि इस संकट के बीच भारत न केवल चुप रहा बल्कि दो सप्ताह पहले इस्राइल के साथ निवेश समझौता भी कर लिया। उन्होंने इसकी तुलना भारत की आजादी से करते हुए कहा कि फलस्तीनियों की दशकों की पीड़ा हमें अन्याय के खिलाफ खड़े होने का संदेश देती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अब चुप्पी को तटस्थता नहीं माना जा सकता और यह समय न्याय, आत्मनिर्णय व मानवाधिकारों के लिए खड़े होने का है।