दिल्ली हाईकोर्ट व बॉम्बे हाईकोर्ट को बम धमकी, बम स्क्वॉड तलाशी में जुटा

नई दिल्ली। शुक्रवार सुबह दिल्ली हाईकोर्ट को भेजे गए एक ईमेल में दावा किया गया कि कोर्ट रूम में 3 बम रखे गए हैं और दोपहर की नमाज से पहले (2 बजे तक) परिसर खाली कर देने का आदेश दिया गया है। वहीँ, इसी तरह का धमकी भरा ईमेल मिलने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट को भी खाली कराया गया। वकील, जज और अन्य उपस्थित लोगों को बाहर निकाला गया है और सभी कोर्ट रूमों व चैंबर्स की तलाशी जारी है। बम स्क्वॉड, पुलिस और संबंधित सुरक्षा दल मौके पर पहुँच चुके हैं।
ईमेल के सब्जेक्ट में लिखा गया था कि “पवित्र शुक्रवार विस्फोटों के लिए पाकिस्तान-तमिलनाडु की मिलीभगत” और इसमें जज रूम/कोर्ट परिसर में तीन बम होने का उल्लेख था। धमकी में यह भी कहा गया कि दोपहर 2 बजे से पहले परिसर खाली कर दें।
ईमेल की प्रतिलिपि में एक विस्तृत राजनीतिक और जहरीले आरोपों वाला संदर्भ भी था। पत्र में एक शिया मुस्लिम “डॉ. शाह फैसल” के पाकिस्तान की आईएसआई सेल से संबंध स्थापित करने और अन्य व्यक्तियों के नाम तथा मोबाइल नंबर का जिक्र था। ईमेल में आईईडी-डिवाइस की जानकारी और डीफ्यूज़िंग कोड के लिए किसी सत्यभामा सेनगोट्टयन से संपर्क करने के निर्देश भी दिए गए थे। पत्र में कुछ राजनीतिक व्यक्तियों और घटनाओं का हवाला देते हुए अंदरूनी साजिश का दावा किया गया।
पुलिस और जांच एजेंसियाँ धमकी के स्रोत और ईमेल की पुष्टि कर रही हैं। बम निरोधक दस्ते सभी कोर्ट रूम व चैंबरों की खोज कर रहे हैं और सुरक्षा उपाय सख्त कर दिए गए हैं। फिलहाल कोई विस्फोटक बरामद होने की सूचना नहीं मिली है।
पिछले महीनों में स्कूलों व संस्थानों को मिली धमकियाँ
यह घटना ऐसे समय में आई है जब पिछले कुछ महीनों में दिल्ली व अन्य शहरों में कई स्कूल और कॉलेज भी बम धमकियों के शिकार रहे हैं। अगस्त में करीब 50 स्कूलों को धमकी मिली थी जिसमें द्वारका, मालवीय नगर व अन्य क्षेत्रों के विद्यालय शामिल थे। 18 अगस्त को 32 स्कूलों को धमकी भेजी गई थी और जुलाई में भी कई बार स्कूलों व कॉलेजों को ईमेल के माध्यम से धमकी दी गई- इनमें सेंट स्टीफन्स कॉलेज सहित कई प्रतिष्ठित संस्थान भी थे। कई घटनाओं में बम निरोधक दस्ते व डॉग-स्क्वॉड ने तलाशी ली, लेकिन विस्फोटक नहीं मिला।
पुलिस का मानना है कि इस तरह की धमकियों का उद्देश्य भय फैलाना है; सुरक्षा एजेंसियाँ घटना की गहनता से जांच कर रही हैं और साइबर व फॉरेंसिक टीमों के माध्यम से ईमेल के स्रोत का पता लगाने की कोशिश जारी है।
				






