भारत का बड़ा बाजार और चीन का डर, ट्रंप क्यों झुकने को हुए मजबूर?

नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ बम के बाद भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में तनाव चरम पर पहुंच गया था। हालात इतने बिगड़े कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप का फोन तक उठाना बंद कर दिया और रूस व चीन के साथ रिश्तों को और प्रगाढ़ करना शुरू कर दिया। एससीओ समिट में हिस्सा लेने मोदी चीन तक पहुंचे, जिससे ट्रंप प्रशासन की टेंशन और बढ़ गई।
लेकिन जल्द ही माहौल बदल गया। भारत के बड़े बाजार और रणनीतिक महत्व को देखते हुए ट्रंप प्रशासन ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया। सोशल मीडिया पोस्ट और बयानों के जरिए ट्रंप ने भारत से रिश्तों में सुधार की पहल की।
भारत की अहमियत क्यों
भारत अमेरिकी कंपनियों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और रक्षा सौदों में भी लंबे समय से साझेदार रहा है। टैरिफ विवाद के बीच भारत ने रूस और चीन के साथ तालमेल बढ़ाया, जो अमेरिका के लिए चिंता का विषय बना। साथ ही, एशिया में चीन को संतुलित करने के लिए भारत को ही एकमात्र विकल्प माना जाता है।
ट्रंप-मोदी की नई जुगलबंदी
ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया पर भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को लेकर सकारात्मक संदेश दिया और पीएम मोदी से दोस्ती का जिक्र किया। इस पर मोदी ने भी जवाब देते हुए कहा कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझेदार हैं और दोनों देशों के लोग मिलकर एक समृद्ध भविष्य गढ़ेंगे।
यह कूटनीतिक घटनाक्रम संकेत देता है कि टैरिफ विवाद के बावजूद भारत और अमेरिका के रिश्तों में मजबूती आ रही है। आने वाले समय में दोनों देशों की जुगलबंदी वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल सकती है।