मन की बात के 114वें एपिसोड में पीएम मोदी ने की जल संरक्षण और स्वच्छता अभियान की तारीफ
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो प्रोग्राम मन की बात को संबोधित किया। मन की बात यह कार्यक्रम ऐसे समय हुआ, जब श्राद्ध पक्ष समाप्ति की ओर है तथा शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र शुरू होने जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि यह उनके लिए भावुक पल है, क्योंकि मन की बात कार्यक्रम को 10 साल पूरे हो रहे हैं। इसके बाद उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में जल संरक्षण के लिए जा रहे प्रयासों का जिक्र किया।
पीएम ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में तालाबों के जल संरक्षण को लेकर किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया। इसी तरह पीएम ने स्वच्छता अभियानों का जिक्र भी किया। बताया कि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को 10 साल पूरे हो रहे हैं।
मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें
@BJP4India के अनुसार, पीएम मोदी ने कहा, ‘मन की बात’ की हमारी इस यात्रा को 10 साल पूरे हो रहे हैं। 10 साल पहले ‘मन की बात’ का प्रारंभ 3 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन हुआ था और ये कितना पवित्र संयोग है, कि इस साल 3 अक्टूबर को जब ‘मन की बात’ के 10 वर्ष पूरे होंगे, तब नवरात्रि का पहला दिन होगा।
पीएम ने कहा, ‘मन की बात’ की इस लंबी यात्रा के कई ऐसे पड़ाव हैं, जिन्हें मैं कभी भूल नहीं सकता। ‘मन की बात’ के करोड़ों श्रोता हमारी इस यात्रा के ऐसे साथी हैं, जिनका मुझे निरंतर सहयोग मिलता रहा। देश के कोने-कोने से उन्होंने जानकारियां उपलब्ध कराई। ‘मन की बात’ के श्रोता ही इस कार्यक्रम के असली सूत्रधार हैं।
मेरा मन भी तभी गर्व से भर जाता है, जब मैं ‘मन की बात’ के लिए आई चिट्ठियों को पढ़ता हूं। हमारे देश में कितने प्रतिभावान लोग हैं, उनमें देश और समाज की सेवा करने का कितना जज्बा है। वो लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं। उनके बारे में जानकार मैं ऊर्जा से भर जाता हूं।
‘मन की बात’ की ये पूरी प्रक्रिया मेरे लिए ऐसी है, जैसे मंदिर जा करके ईश्वर के दर्शन करना। ‘मन की बात’ की हर बात को, हर घटना को, हर चिट्ठी को मैं याद करता हूं, तो ऐसे लगता है जैसे मैं ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के दर्शन कर रहा हूं।
‘मन की बात’ के द्वारा हमने जिन मुद्दों को उठाया, उन्हें लेकर कई Media Houses ने मुहिम भी चलाई। मैं Print media को भी धन्यवाद देता हूं, उन्होनें इसे घर-घर तक पहुंचाया। मैं उन YouTubers को भी धन्यवाद दूंगा जिन्होनें ‘मन की बात’ पर अनेक कार्यक्रम किए।
झांसी में कुछ महिलाओं ने घुरारी नदी को नया जीवन दिया है। ये महिलाएं Self-help group से जुड़ी हैं और उन्होनें ‘जल सहेली’ बनकर इस अभियान का नेतृत्व किया है। इन महिलाओं ने मृतप्राय हो चुकी घुरारी नदी को जिस तरह से बचाया है, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक सीमावर्ती गांव है ‘झाला’… यहां के युवाओं ने अपने गांव को स्वच्छ रखने के लिए एक खास पहल शुरू की है।
वे अपने गांव में ‘धन्यवाद प्रकृति’ या कहें ‘Thank you Nature’ अभियान चला रहे हैं। इसके तहत गांव में रोजाना दो घंटे सफाई की जाती है। गांव की गलियों में बिखरे हुए कूड़े को समेटकर गांव के बाहर, तय जगह पर डाला जाता है।