6 महीने का मिशन 8 साल तक चला…..
6 महीने का मिशन 8 साल तक चला; चीन और जापान भी हुए थे फेल, पढ़िए मंगलयान की कहानी
( PUBLISHED BY – SEEMA UPADHYAY )
भारत का मार्स ऑर्बिटर मंगलयान इंटरप्लेनेटरी मिशन 8 साल के लंबे अंतराल के बाद ‘सेवानिवृत्त’ हो गया है। सुरक्षित सीमा से अधिक चलने के बाद इसकी बैटरी खत्म हो गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में मंगलयान एक बहुत बड़ा मील का पत्थर था। इसने मंगल ग्रह का अध्ययन करने में मदद की, जिसमें इसकी भूविज्ञान, वायुमंडलीय प्रक्रियाएं, सतह का तापमान और वायुमंडलीय पलायन प्रक्रियाएं शामिल हैं। मंगलयान नवंबर 2013 में लॉन्च किया गया था और पहले प्रयास में सितंबर 2014 में सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में प्रवेश किया। इसे केवल 6 महीने के लिए काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
चीन और जापान भी हुए थे फेल
2014 में मंगलयान को मंगल की कक्षा में स्थापित करने के बाद, भारत अमेरिका, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और रूस के क्लब में शामिल हो गया था जिसने मंगल ग्रह पर अपना अंतरिक्ष यान भेजा था। मालूम हो कि उस समय तक चीन और जापान इसमें विफल रहे थे। मार्स ऑर्बिटर मिशन का बजट 74 मिलियन डॉलर था। जो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा मंगल ग्रह पर मावेन अंतरिक्ष यान भेजने पर खर्च की गई राशि का लगभग दसवां हिस्सा था।
मंगलयान में 5 उपकरणों का हुआ था उपयोग
मंगलयान ने मंगल ग्रह पर अध्ययन के लिए 5 उपकरणों का इस्तेमाल किया। इसमें मार्स कलर कैमरा (एमसीसी), थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (टीआईएस), मीथेन सेंसर (एमएसएम), मार्स एक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर (एमईएनसीए) और लेहमैन अल्फा फोटोमीटर (एलएपी) शामिल हैं। मार्स कलर कैमरा ने 1000 से अधिक तस्वीरें खींचीं। इन तस्वीरों से मार्स एटलस भी प्रकाशित हुआ था।
माना जा रहा है कि इसरो भी मंगलयान-2 के बारे में सोच रहा है। फिलहाल इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है। इस समय इसरो गगनयान पर फोकस कर रहा है। इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने बताया था कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष-उड़ान मिशन ‘गगनयान’ 2024 में लॉन्च होने की उम्मीद है।