नवरात्रि के पांचवे दिन करे इस विधि से पूजा!!!
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार मां स्कंदमाता कमल पर विराजमान हैं, इसलिए उन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है। इस देवी की चार भुजाएं हैं।
(Published by- Lisha Dhige)
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार मां स्कंदमाता कमल पर विराजमान हैं, इसलिए उन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है। इस देवी की चार भुजाएं हैं। मां की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। छह मुखी स्कंद कुमार माता स्कंदमाता की गोद में नवास करते हैं
इस देवी की चार भुजाएं हैं। उन्होंने भगवान स्कंद को अपनी गोद में दायीं ओर ऊपरी भुजा के साथ धारण किया है। निचली भुजा में कमल का फूल है। ऊपरी बांया। हाथ वरदमुद्रा में है। निचली भुजा में कमल का फूल है। वह कमल पर विराजमान हैं। इसलिए इन्हें पद्मासन देवी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्कंदमाता अपने भक्तों पर बहुत जल्द प्रसन्न हो जाती हैं। यह भी माना जाता है कि मां की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है स्कंदमाता की पूजा :
पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है। इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। यह रंग जीवन में शांति, पवित्रता, ध्यान और सकारात्मकता फैलाता है। सबसे पहले पांचवें दिन स्नान करें। इसके बाद मां की पूजा की तैयारी करें। मां स्कंदमाता की मूर्ति, फोटो या मूर्ति को गंगाजल से पवित्र करें, उसके बाद मां को कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि चढ़ाएं। फिर मिठाई का आनंद लें। मां के सामने घी का दीपक या दीपक जलाएं, उसके बाद मां स्कंदमाता की सच्ची भक्ति से पूजा करें। इसके बाद घंटी बजाते हुए मां की आरती करें। स्कंदमाता की कहानी पढ़ें। अंत में मां स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें।
मां स्कंदमाता का विशेष प्रसाद
मां स्कंदमाता को केला चढ़ाएं। इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में लें। इसे स्वीकार करने से संतान और स्वास्थ्य दोनों की बाधाएं दूर होंगी। शास्त्रों में मां स्कंदमाता की महिमा बताई गई है। इनकी पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनकी उपासक अलौकिक तेज और तेजस्वी हो जाती है। इसलिए जो भक्त मन को एकाग्र और शुद्ध रखकर इस देवी की पूजा करता है, उसे ब्रह्मांड के सागर को पार करने में कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है।