शिक्षक भर्ती घोटाला: पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को मिली ज़मानत, दो साल बाद जेल से रिहाई
कोलकाता। शिक्षक भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी और पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को मंगलवार को ज़मानत मिल गई। वे 23 जुलाई 2022 से न्यायिक हिरासत में थे, जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया था। शारीरिक अस्वस्थता के चलते चटर्जी को दक्षिण कोलकाता के मुकुंदपुर स्थित आरएन टैगोर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ज़मानत आदेश के बाद मंगलवार दोपहर उन्हें वहीं से रिहा कर दिया गया।
ईडी और सीबीआई, दोनों मामलों में मिली ज़मानत
पार्थ चटर्जी को पहले ईडी के मामलों में ज़मानत मिल चुकी थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सीबीआई से जुड़े मामलों में इस शर्त पर ज़मानत दी थी कि गवाहों की जांच पूरी होने तक वे हिरासत में रहेंगे। अब निचली अदालत में गवाहों की जांच पूरी होने के बाद उनकी रिहाई संभव हुई।
रिहाई के बाद उनके समर्थकों की बड़ी भीड़ अस्पताल के बाहर जुट गई और “पार्थ दा ज़िंदाबाद” के नारे लगाते हुए दक्षिण कोलकाता स्थित उनके नकटला आवास तक उनके साथ गई।
क्या है शिक्षक भर्ती घोटाला?
पार्थ चटर्जी, जो 2011 से 2022 तक ममता बनर्जी सरकार में मंत्री रहे और 2016 से शिक्षा विभाग संभाल रहे थे, पर आरोप है कि उन्होंने राज्य के शिक्षा विभाग में प्राथमिक शिक्षक, सहायक शिक्षक और ग्रुप-डी कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताएँ कीं।
यह मामला तब सामने आया जब पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) के असफल उम्मीदवारों ने भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
हाई कोर्ट ने 8 जून 2022 को सीबीआई जांच के आदेश दिए। इसके बाद, सीबीआई ने अगले दिन प्राथमिकी दर्ज की, जबकि ईडी ने 24 जून 2022 को मनी लांड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया था।







