पाकिस्तान के कब्जे से जल्द आजाद हो सकता है पीओके?

नई दिल्ली: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के भारत दौरे ने पाकिस्तान को हिला कर रख दिया है। मुत्तकी ने भारत के साथ संयुक्त बयान में जम्मू और कश्मीर पर भारत की संप्रभुता का स्पष्ट समर्थन किया, जिससे पाकिस्तान में पीओके (Pakistan-occupied Kashmir) के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ गई है।
अफगान अल्टीमेटम का मतलब
अफगान विदेश मंत्री मुत्तकी ने पाकिस्तान को साफ चेतावनी दी कि अगर वह शांति वार्ता को आगे बढ़ाने में गंभीर नहीं है, तो अफगानिस्तान के पास अन्य विकल्प मौजूद हैं। हालांकि उन्होंने इन विकल्पों का विस्तार नहीं बताया, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इसका इशारा पीओके में तनाव बढ़ाने या वहां पाकिस्तान के कब्जे को चुनौती देने की संभावना की ओर हो सकता है।
भारत ने किया अपना रुख स्पष्ट
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मुत्तकी से मुलाकात में यह स्पष्ट किया कि भारत और अफगानिस्तान के बीच 106 किलोमीटर लंबी वाखान कॉरिडोर सीमा है। इसलिए अफगानिस्तान, भारत का निकटवर्ती पड़ोसी है और भारत उसके विकास में गहरी रुचि रखता है। इस पृष्ठभूमि में अफगान समर्थन ने पाकिस्तान के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव और बढ़ा दिया है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के बयान का विरोध किया और इसे संवेदनशील बताते हुए अफगान राजदूत को तलब किया। पाकिस्तान का डर इस बात से भी जुड़ा है कि पीओके पर उसका अवैध कब्जा धीरे-धीरे चुनौती का सामना कर सकता है।
पीओके और भारत की नीति
भारत की आधिकारिक स्थिति स्पष्ट है- पीओके भारत का अविभाज्य हिस्सा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि भविष्य में पाकिस्तान के साथ किसी भी वार्ता का मुख्य विषय पीओके और सीमा-पार आतंकवाद ही होगा। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी हाल ही में कहा कि “पूरा भारत एक घर है, उसका एक कमरा (पीओके) किसी ने हथियाया है, उसे वापस लेकर वहां डेरा डालना हमारी प्राथमिकता है।”