बिहार चुनाव 2025: कांग्रेस की सत्ता नहीं, अस्तित्व की लड़ाई

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों (Bihar Election 2025 Date) की घोषणा के बाद अब सभी राजनीतिक दल पूरी ताकत से मैदान में उतर गए हैं। इस बार का चुनाव कांग्रेस के लिए बेहद अहम है। पार्टी के लिए यह सिर्फ सत्ता हासिल करने का नहीं, बल्कि अपने राजनीतिक अस्तित्व और भविष्य की बुनियाद को दोबारा मजबूत करने का मौका है।
पिछले तीन दशकों से बिहार की राजनीति में कांग्रेस हाशिये पर रही है। लालू प्रसाद यादव के उभार के बाद कांग्रेस अपने पारंपरिक पिछड़ा और मुस्लिम वोट बैंक से दूर होती चली गई। वहीं, भाजपा-नीतीश गठबंधन के उभार ने कांग्रेस की जमीनी पकड़ को और कमजोर कर दिया।
2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल 19 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई। वह भी महागठबंधन के साझा वोट बैंक के कारण। इस बार कांग्रेस पुराने ढांचे को तोड़कर अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाने की दिशा में प्रयासरत है।
चुनाव से पहले राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खरगे जैसे शीर्ष नेताओं की बिहार में सक्रियता पार्टी के लिए ऊर्जा का संचार कर रही है। हालांकि सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या गांधी परिवार का करिश्मा इस बार वोटों में तब्दील हो पाएगा?
तेजस्वी यादव भले ही विपक्ष का चेहरा हों, पर कांग्रेस अपने हिस्से की सीटों पर सम्मानजनक प्रदर्शन चाहती है। अगर सीट बंटवारे में राजद ने कांग्रेस को कम महत्व दिया, तो कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर सकता है। इसके विपरीत, यदि कांग्रेस गठबंधन में रहते हुए भी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसका राजनीतिक कद और प्रभाव दोनों बढ़ सकते हैं।
2025 का चुनाव कांग्रेस के लिए दोराहे पर खड़ा है। बेहतर प्रदर्शन उसे राष्ट्रीय राजनीति में नया संदेश देगा कि गांधी परिवार अब भी जीत दिलाने की क्षमता रखता है। लेकिन यदि नतीजे निराशाजनक रहे, तो बिहार कांग्रेस का अस्तित्व और गांधी परिवार की विश्वसनीयता दोनों पर प्रश्नचिह्न लग सकते हैं। फिलहाल, पार्टी चुनावी रणभूमि के लिए पूरी तरह तैयार है और सीट बंटवारे की अंतिम घोषणा का इंतजार कर रही है।