पूर्व वायुसेना अधिकारी बोले, मिग-21 सिर्फ लड़ाकू विमान नहीं, वायुवीरों की डार्लिंग और वायुसेना की रीढ़

आगरा/चंडीगढ़। भारतीय वायुसेना का सुपरसोनिक जेट मिग-21 रिटायर होने के बाद पूर्व वायुसेना अधिकारी भावुक नजर आए। हजारों घंटे मिग-21 के कॉकपिट में बिताने वाले पायलटों ने इस विमान को कभी “फ्लाइंग कॉफिन” या “घोस्ट/विडो मेकर” कहकर बदनाम करने को बड़ी साजिश बताया।
एयर कमोडोर सुरेंद्र सिंह त्यागी ने 4200 घंटे मिग-21 के कॉकपिट में बिताए। उन्होंने बताया कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध सहित कई अभियानों में इस विमान का संचालन किया। पूर्व एयरफोर्स चीफ बीएस धनोआ ने इसे हर वायुवीर की डार्लिंग कहा। आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने भी फ्लाइंग कॉफिन कहे जाने पर नाराजगी जताई।
एयर वाइस मार्शल सर्वजीत सिंह होथी ने 1300 घंटे मिग-21 में बिताए। उन्होंने कहा कि दुर्घटना की आलोचना अक्सर उन लोगों द्वारा की जाती है जिन्होंने इसे कभी उड़ाया नहीं। एयर कमोडोर रणधीर प्रताप ने इसे स्पोर्ट्स कार के समान बताया और कहा कि दुश्मन इससे डरते थे, पायलट नहीं।
एसएस सोमन, एयर मार्शल, वेटरन ने 1600 घंटे मिग-21 के कॉकपिट में बिताए। उन्होंने बताया कि मिग-21 की उड़ान और क्षमता के कारण कई भ्रांतियां फैलाई गईं। ग्रुप कैप्टन तरुण कुमार सिंघा ने अमेरिकी एयरफोर्स के साथ 2004 में किए गए कॉम्बैट अभ्यास का जिक्र किया और बताया कि मिग-21 ने अमेरिकी विमानों को कड़ी चुनौती दी।
एनपी सिंह, ग्रुप कैप्टन, ने 2749 घंटे मिग-21 में बिताए। उन्होंने कहा कि यह विमान उनके परिवार का सदस्य जैसा था और इसके जाने का दुख है।
पूर्व वायुवीरों ने मिलकर मिग-21 को न केवल एक विमान बल्कि वायुसेना की रीढ़ और पायलटों की डार्लिंग बताया।