
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के तुंडला में सरकारी स्कूल के मैदान में रामलीला समारोह आयोजित करने पर रोक लगाने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई है। पीठ ने यह सुनवाई 25 सितंबर को करने का निर्णय लिया।
याचिका में दायर आरोप
रामलीला समिति द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) में कहा गया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनवाई दिए बिना एकतरफा आदेश पारित किया। हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की पीठ ने सोमवार को स्कूल परिसर में रामलीला आयोजित करने की अनुमति पर रोक लगाई।
हाई कोर्ट ने कहा कि अज्ञात व्यक्तियों/प्रस्तावित रामलीला समिति द्वारा स्कूल परिसर का उपयोग करना “एक्स फैसी अवैध” है। आदेश में स्कूल परिसर के खेल मैदान के दुरुपयोग और शैक्षणिक गतिविधियों में व्यवधान की भी चिंता व्यक्त की गई।
न्यायिक अधिकारियों के लिए परीक्षा पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ में बुधवार को जिला न्यायाधीश के पद के लिए परीक्षा देने के मुद्दे पर सुनवाई जारी रखी। पीठ ने ध्यान दिलाया कि देश में 25,870 स्वीकृत न्यायिक पदों में से लगभग पांच हजार रिक्त हैं।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह तय किया कि न्यायिक अधिकारियों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए उन्हें जिला न्यायाधीश के पद के लिए परीक्षा देने की अनुमति दी जा सकती है। पीठ संभवतः गुरुवार को 30 याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखेगी।
प्रक्रिया न्याय की सहायक, दंडात्मक नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया केवल सहायक होती है और इसे दंडात्मक उपाय के रूप में अन्याय बढ़ाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने झारखंड लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया कि वह एक उम्मीदवार का चिकित्सा परीक्षण कराए, जो प्रतियोगी परीक्षा में उपस्थित नहीं हो सकी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जनजाति श्रेणी की उम्मीदवार को सहानुभूति के साथ निपटाया जाना चाहिए, भले ही वह चिकित्सा परीक्षा में उपस्थित नहीं हो पाई।