
पटना। एनडीए एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है, लेकिन लड़ने वाली सीटों की संख्या को लेकर संघर्ष जारी है। इस बार भी जदयू बड़े भाई की भूमिका में है और वह सांकेतिक रूप से ही सही, भाजपा से अधिक सीटों पर लड़ना चाहता है।
लोजपा को लेकर जदयू का रुख
जदयू ने साफ किया है कि लोजपा (रा) की मांग भाजपा की जिम्मेदारी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की बयानबाजी को गठबंधन के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानते हुए जदयू चाहता है कि भाजपा इसे रोके। 2020 के विधानसभा चुनाव में तीसरे नम्बर की पार्टी बनने का अनुभव जदयू नहीं भूल रहा है।
अमित शाह से मुलाकात में उठे मुद्दे
तीन दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बैठक में लोजपा का मुद्दा भी उठा। जदयू ने अपनी मांग दोहराई कि उसे पिछली बार की तरह 122 सीटें चाहिए, जबकि भाजपा अपने कोटे की 121 सीटों में से सहयोगियों को सौंप सकती है।
सहयोगियों को सीट और उम्मीदवार मिल सकते हैं
एनडीए के बड़े दल भाजपा और जदयू सहयोगियों को सीटों के साथ उम्मीदवार भी देने पर विचार कर सकते हैं। पिछली बार भाजपा ने विकासशील इंसान पार्टी को 11 सीटों के साथ पांच उम्मीदवार दिए थे, जिसमें चार जीतकर भाजपा में शामिल हो गए थे। इस बार लोजपा को अधिक सीटें मिलने पर वही फार्मूला लागू हो सकता है।
जदयू हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को अपने हिस्से की सीटें देने पर भी विचार कर सकता है, जिससे गठबंधन में संतुलन बना रहे।