अमेरिका की रूस रणनीति में भारत की भूमिका पर नया विवाद

नई दिल्ली। अमेरिका ने रूस पर नए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है और वह चाहता है कि यूक्रेन युद्ध में रूस हार मान ले। इस पूरे मसले में भारत को भी बीच में लाने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, यह रणनीति यूरोपीय यूनियन (EU) के ऊर्जा बाजार से जुड़ी हुई है।
लेखक और इतिहासकार जोरावर दौलत सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट द्वारा रूस पर लगाए जाने वाले संभावित टैरिफ की धमकी को कठघरे में खड़ा किया। सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एस’ पर लिखा कि अमेरिका रूस को यूक्रेन में किसी संभावित समझौते के लिए भू-राजनीतिक मुद्दों पर झुकने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिका की इस “बेवकूफी भरी योजना” में ईयू के साथ नहीं डूबेगी।
बेसेंट ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर अमेरिका और ईयू रूस का कच्चा तेल खरीदने वाले देशों पर सेकेंडरी सैंक्शंस लगाते हैं, तो रूस की अर्थव्यवस्था पूरी तरह ढह जाएगी। इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने उन देशों पर टैरिफ लगाने के अमेरिकी फैसले का समर्थन किया है, जो रूस से तेल खरीदना जारी रखे हुए हैं, जिनमें भारत भी शामिल है।