शीतकालीन फसल उत्सव भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। यह कृषि प्रयासों और नए सीज़न की पहली फसल की उपज का जश्न मनाता है। सर्दियों की समाप्ति और गर्म दिनों की शुरुआत के प्रतीक ये त्योहार विविध कृषि पद्धतियों का भी प्रदर्शन करते हैं। यह लेख प्रकृति और कृषि समुदाय के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए भारत भर में मनाए जाने वाले विभिन्न फसल त्योहारों के बारे में है।
मकर संक्रांति को उत्तरायण, मकर या केवल संक्रांति के रूप में भी मनाया जाता है। यह देश के उत्तरी भागों में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। लोकप्रिय विंटर हार्वेस्ट फेस्टिवल सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में संक्रमण का प्रतीक है।
Makarsankranti 2024 : कथा
सूर्यदेव के ऐसे व्यवहार से क्रोधित होकर छाया ने उन्हें श्राप दे दिया था। माता छाया ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग का श्राप दिया था। जिससे क्रोधित होकर सूर्यदेव ने छाया और शनिदेव का घर जलाकर राख कर दिया था। सूर्यदेव के पुत्र यम ने सूर्य देव को उस श्राप से मुक्त किया था। साथ ही उनके सामने मांग रखी थी की वह उनकी माता यानी छाया के साथ अपने व्यवहार में बदलाव लाएं।
इसके बाद सूर्यदेव छााया और शनिदेव से मिलने के लिए उनके घर पहुंचे थे। जब सूर्यदेव वहा पहुंचे तो उन्होंने देखा की वहां कुछ भी नहीं था सब कुछ जलकर बर्बाद हो गया था। इसके बाद शनिदेव ने काले तिल से अपने पिता का स्वागत किया था। शनिदेव के ऐसे व्यवहार से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने उस दिन उन्हें नया घर दिया जिसका नाम था मकर। इसके बाद से ही शनिदेव दो राशियों कुंभ और मकर के स्वामी हो गए। शनिदेव के इस व्यवहार से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने उन्हें यह भी कहा कि जब भी वह मकर संक्रांति के मौके पर उनके घर आएंगे तो उनका घर धन धान्य से भर जाएगा। उनके पास किसी भी वस्तु की कमी नहीं रहेगी। साथ ही यह भी कहा कि इस दिन जो लोग भी मकर संक्रांति के मौके पर मुझे काले तिल आर्पित करेंगे उनके जीवन में सुख समृद्धि आएगी। इसलिए मकर संक्रांति के मौके पर सूर्य देव की पूजा में काले तिल का इस्तेमाल करने से व्यक्ति के घर में धन धान्य की कोई कमी नहीं रहती है।