
काशी विश्वनाथ मंदिर में हल्दी चढ़ाने की परंपरा एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। आइए जानते हैं कि काशी विश्वनाथ (भगवान शिव) को हल्दी क्यों चढ़ाई जाती है
Kashi Vishvanath : हल्दी का पवित्र और शुद्धिकरण स्वरूप
- हल्दी को हिंदू धर्म में पवित्र, शुद्ध और शुभ माना गया है।
- यह रोगनाशक और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाली मानी जाती है।
- शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाने से वातावरण शुद्ध होता है और पूजा सफल मानी जाती है।
Kashi Vishvanath :. भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह प्रतीक

- हल्दी विशेष रूप से स्त्रियों के सुहाग और विवाह से जुड़ी होती है।
- जब कोई महिला अपने सौभाग्य और शिव-पार्वती के प्रेम के लिए पूजा करती है, तो हल्दी चढ़ाकर मां पार्वती की कृपा और शिव का आशीर्वाद मांगती है।
Kashi Vishvanath : शिवलिंग पर हल्दी से विशेष फल की प्राप्ति
- मान्यता है कि शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाने से आरोग्य, सौभाग्य, और वैवाहिक सुख प्राप्त होता है।
- कई स्त्रियाँ विशेष रूप से सोमवार या हरतालिका तीज, सावन के सोमवार, या महाशिवरात्रि के दिन हल्दी चढ़ाकर व्रत रखती हैं।
Kashi Vishvanath : काशी की विशेष परंपरा

- काशी में शिव की पूजा सिर्फ वैराग्य रूप में ही नहीं, बल्कि गृहस्थ रूप में भी की जाती है (विशेषकर माता अन्नपूर्णा के साथ)।
- इसलिए यहाँ हल्दी, कुमकुम, और चूड़ी जैसी चीजें भी चढ़ाई जाती हैं जो सामान्यतः देवी पूजा की वस्तुएँ मानी जाती हैं।
Kashi Vishvanath : काशी में शिव का गृहस्थ रूप — अन्नपूर्णेश्वरी के साथ

- काशी में भगवान शिव की गृहस्थ भूमिका को विशेष महत्व दिया गया है।
- यहाँ शिव जी की पत्नी माता अन्नपूर्णा (अन्न की देवी) का भव्य मंदिर है, जो काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
- मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं भिक्षुक रूप में माता अन्नपूर्णा से अन्न मांगने गए थे।
- इससे यह संकेत मिलता है कि अन्न, गृहस्थी, और देवी का महत्व स्वयं महादेव ने स्वीकार किया।