
महागौरी अष्टमी, नवरात्रि की आठवीं तिथि को मनाई जाती है और यह देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को समर्पित होती है। महागौरी की पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
Mahagauri : महागौरी की कथा

पुराणों के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। वर्षों तक उन्होंने हिमालय के जंगलों में तपस्या की, जिससे उनका शरीर धूल और धुएं से काला पड़ गया।
उनकी यह भक्ति देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उन्हें वरदान दिया कि वह उनके पति बनेंगे। भगवान शिव ने गंगा जल से पार्वती जी के शरीर को धोया, जिससे उनका रूप अत्यंत उज्ज्वल, गोरा और सुंदर हो गया। इसी रूप में वे महागौरी कहलाईं।
महागौरी अष्टमी को देवी के इस शुभ्र, श्वेत और शांत रूप की पूजा की जाती है।
Mahagauri : महत्त्व
- कुंवारी लड़कियाँ देवी की पूजा कर उत्तम वर की प्राप्ति का आशीर्वाद मांगती हैं।
- गृहस्थ जीवन में शांति और समृद्धि के लिए माता की कृपा ली जाती है।
- देवी की पूजा से डर, दुख और दरिद्रता का नाश होता है।
Mahagauri : महागौरी स्तुति (श्लोक)

श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
भावार्थ:
श्वेत वृषभ (बैल) पर सवार, श्वेत वस्त्र धारण करने वाली, अत्यंत पवित्र देवी महागौरी, जो सबको शुभ प्रदान करती हैं और भगवान महादेव को आनंद देने वाली हैं – वे हमें भी शुभ फल प्रदान करें।